मथुरा: कृष्ण लीला की जमीन, राधा-कृष्ण के प्रेम की भूमि मथुरा, जहां आज भी कृष्ण लीलाओं के तमाम प्रमाण देखे जाते हैं. उस मथुरा में राधा, कृष्ण की प्रेमिका के तौर पर ही जानी जाती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान कृष्ण और राधा की शादी भी हुई थी. जी हां! स्वयं ब्रह्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की शादी बाल अवस्था में संपन्न कराई थी और राधा भगवान कृष्ण की पत्नी भी थीं.
जनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर मांट क्षेत्र है, जहां भांडीरवन के नाम से विख्यात स्थान राधा-कृष्ण के प्रेम विवाह के नाम से जाना जाता है. विष्णु पुराण में भी इस स्थान का जिक्र किया गया है. विष्णु पुराण के अनुसार, राधा-कृष्ण की शादी स्वयं ब्रह्मा जी ने कराई थी.
राधा-कृष्ण का विवाह स्थल
जनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर मांट सुरीर रोड पर स्थित है राधा-कृष्ण का विवाह स्थल. यहीं है भांडीरवन, जहां प्राचीन काल का वटवृक्ष द्वापर युग से यहां मौजूद है. इस वृक्ष के नीचे स्वयं ब्रह्मा जी ने भगवान कृष्ण और राधा जी की शादी बाल अवस्था में संपन्न कराई थी. कहा जाता है कि भांडीरवन में एक वट वृक्ष है. इस वट वृक्ष की जड़ें 10 किलोमीटर के दायरे में फैली हुई हैं. इसी वट वृक्ष के नीचे ब्रह्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी का विवाह संपन्न कराया था. भांडीरवन में वटवृक्ष द्वापर युग से ही वहां है. विष्णु पुराण में भी इस वट वृक्ष का जिक्र किया गया है.
भांडीरवन आते हैं श्रद्धालु
भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी के प्रेम की कथाएं कई शास्त्र पुराणों में लिखी हुई हैं, लेकिन विवाह के संबंध में मात्र विष्णु पुराण में जिक्र किया गया है. इस स्थान के दर्शन करने के लिए हर रोज सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. यहां आकर मन की शांति और नवविवाहित जोड़े भगवान का आशीर्वाद लेते हैं. फिलहाल वैश्विक महामारी के चलते इस मंदिर में इक्का-दुक्का ही श्रद्धालु दर्शन करने आ रहे हैं.
एक ही वट वृक्ष में से राधा-कृष्ण निकले
स्थानीय लोगों के अनुसार, द्वापर युग का यह वट वृक्ष विशाल रूप में फैला हुआ है. यह वट वृक्ष दो रंगों में है. एक सांवला कृष्ण रूपी और दूसरा हिस्सा गोरा राधा रूपी. शादी में जिस तरह वर-वधु को गठजोड़ा पहनाया जाता है, उसी तरह वृक्ष पर जड़ों से गठजोड़ा बना हुआ है.