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मैनपुरी: मुख्यालय से सटे गांवों तक नहीं पहुंची राहत सामग्री, ग्रामीणों ने बयां किया दर्द

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में ईटीवी भारत की टीम ने 12 गांवों का भ्रमण किया. इस दौरान ईटीवी भारत की टीम को देखकर गरीब-बेसहारा लोगों को एक आस जागी और उन्होंने अपना दर्द बयां किया.

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ग्रामीणों ने अपनी परेशानियों को ईटीवी भारत से किया साझा.

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Published : Apr 6, 2020, 12:55 PM IST

मैनपुरी: लॉकडाउन का आज 12वां दिन है. इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने 12 गांवों का भ्रमण किया. भ्रमण के दौरान यह देखा गया कि कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करे. शहर से सटे गांव कवर नगला में पहुंची ईटीवी भारत की टीम को देखकर गरीब असहाय लोगों को एक आस जागी और उन्होंने अपना दर्द बयां किया.

ग्रामीणों ने अपनी परेशानियों को ईटीवी भारत से किया साझा.

ग्रामीणों ने बयां किया अपना दर्द
शहर से सटे गांव कवर नगला में पहुंची ईटीवी भारत की टीम से ग्रामीणों ने बताया कि देश में लॉकडाउन कर दिया गया. सोशल डिस्टेंसिंग की बात प्रधानमंत्री ने जो कही है, उसका पालन किया जा रहा है. हम लोग घर से नहीं निकल रहे हैं. इस वजह से रोजी-रोटी का जो पेशा था, वह लॉकडाउन की वजह से छिन गया है. ग्रामीणों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि जब वह अपने बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए निकलते हैं तो पुलिस उन्हें भगा देती है. इतना समय बीत गया है, जिन लोगों ने राशन दिया उससे सिर्फ दो दिन तक ही काम चला.

गांव के एक परिवार ने बताया कि उनके पास राशन कार्ड तक नहीं है. यहां तक कि उनके पास आधार कार्ड भी नहीं है. कई बार उन्होंने राशन कार्ड बनवाने का प्रयास किया, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो पाई. उनके पास सिर्फ उनकी मां का एक राशन कार्ड है.

इस गांव में आठ परिवार जो कि अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. इस कोरोना वायरस जैसी भयंकर बीमारी से लॉकडाउन हो गया और सब कुछ रुक गया, जिसके चलते ये परिवार भुखमरी की कगार पर हैं. कभी-कभी तो स्थितियां यह आती हैं कि बगैर खाने के सोना पड़ता है. शासन की तरफ से अब तक कोई भी मदद मुहैया नहीं कराई गई है, हालांकि जो प्रत्येक महीना 500 रुपये का राशन मिलता था वह मिल गए हैं, लेकिन उससे कुछ नहीं होता है.

शासन के साफ निर्देश हैं, यदि कोई गरीब-निर्धन जिसका कोई सहारा नहीं है, उस व्यक्ति को 1000 रुपये दिए जाएंगे. साथ ही तत्काल उस परिवार के राशन कार्ड बनेंगे. आधार कार्ड भी उस परिवार के पास नहीं है तो उस परिवार की जिम्मेदारी जिला प्रशासन लेगा. कोई भी व्यक्ति जनपद में भूखा नहीं रहेगा.
-महेंद्र बहादुर सिंह, जिलाधिकारी

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