मैनपुरी: एक साल पहले आज ही के दिन पुलवामा में आतंकी हमले के दौरान सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. इसमें मैनपुरी जिले का भी एक लाल था, राम वकील. ईटीवी भारत की टीम शुक्रवार को राम वकील के घर पहुंची और परिवारीजनों से मिली तो उनका दर्द साफ झलक पड़ा कि सरकार ने वादे तो किए थे, लेकिन उन वादों को अभी तक पूरा नहीं कर पाई है. साथ ही अब तक शहीद का स्मारक तक नहीं बन पाया है. शहीद की याद में उनकी मां रोकर अपना दर्द बयां करने लगी कि मेरा बेटा एक वर्ष से गया है और अब तक नहीं लौटा है.
14 फरवरी को शहीद हुए थे सीआरपीएफ के 40 जवान
14 फरवरी 2019 का वह काला दिन, जब पुलवामा में सीआरपीएफ की बस पर आत्मघाती आतंकियों ने हमला कर दिया था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे. उन जवानों में मैनपुरी जनपद के विनायकपुर का एक लाल भी शहीद हो गया था. शहीद राम वकील के परिवार को सांत्वना देने के लिए उस समय होड़ लगी हुई थी और वादे पर वादे किए जा रहे थे. फिर धीरे-धीरे यह बातें समाप्त होते गई और परिवार खुद ही इन किए गए वादों के लिए जद्दोजहद करने लगा. परिवार कभी राज्यपाल से मिला तो कभी मंत्रियों से. जब अधिकारियों से मिला तो आश्वासन मिला, लेकिन शहीद का स्मारक कोई न बनवा पाया.
छलक पड़ापरिवार का दुख
ईटीवी भारत की टीम शहीद के गांव विनायकपुर पहुंची तो परिवारीजनों का दर्द छलक पड़ा. रुदे हुए गले से शहीद की मां ने अपना दुख दिखाया तो वहीं उसकी पत्नी की व्यथा भी सामने आ गई. शहीद होने के बाद सभी आए थे, सभी ने आश्वासन दिया था. हालांकि सरकार ने नौकरी का वादा किया, कुछ रुपये भी दिए. वहीं शहीद के नाम पर द्वार की बात भी कही गई थी, वह भी नहीं बनवाया गया. साथ ही मकान की बात भी कही गई थी, जिसके लिए जेई आए थे और नक्शा बनाकर ले गए थे, लेकिन आज तक जेई ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. जब अंतिम संस्कार किया गया था तो सरकार ने जमीन तो मुहैया करा दी थी, लेकिन रास्ता अब तक नहीं दे पाई है. रास्ते के चलते कई बार अधिकारियों से बात की पंचायत भी हुई, लेकिन रास्ता तक सरकार मुहैया नहीं करा पाई.