मैनपुरी:जिले में थाना कुर्रा क्षेत्र के रहने वाले शालिगराम ने 1962 में भारत-चीन युद्ध लड़ा. इस युद्ध में भारत की करारी हार हुई. काफी संख्या में सैनिक हताहत हुए और वीरगति को प्राप्त हुए. वहीं युद्ध के दौरान कुछ सैनिक जीवित बच गए थे, जिनमें से कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात एक शालिगराम भी हैं.
धोखेबाज देश है चीन
ईटीवी भारत की टीम ने जब शालिगराम से बात की तो उन्होंने बताया कि 1962 में चीन ने धोखे से भारत पर आक्रमण किया था. मौजूदा समय में कोरोना जैसी भयंकर बीमारी से विश्व तबाह है. इससे भारत भी अछूता नहीं है. कोरोना के चलते देश की आर्थिक स्थिति खराब है, जिसका लाभ चीन ने उठाया और गलवान घाटी में हिंसक झड़प की. इस दौरान चीनी सैनिकों ने धोखे से हमारे सैनिकों की हत्या की है. चीन धोखेबाज देश है, जिस पर कभी विश्वास नहीं किया जा सकता.
कौन हैं शालिगराम
थाना कुर्रा क्षेत्र के बदनपुर गांव में वीर सपूत शालिगराम का जन्म हुआ. ये तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं. दोनों छोटे भाई किसान हैं. शालिगराम शांति स्वभाव के चलते परिवार में सबके चहेते हैं. वे कुमाऊं रेजीमेंट में सिपाही पद पर भर्ती हुए और कुछ दिन बाद लेह, लद्दाख के रिंजगला पर उनकी तैनाती कर दी गई.
यूनिट के 114 सैनिक हुए थे शहीद
भारत और चीन के बीच हुए 1962 के युद्ध को याद करते हुए पूर्व सैनिक शालिगराम बताते हैं, 'हमारी यूनिट में 120 सैनिक थे. हम सभी सैनिक रिजंगला पहाड़ी पर तैनात थे. 18 नवंबर 1962 को देर रात सूचना मिली कि चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की है. इस पर हमारी यूनिट ने घुसपैठ कर रहे चीनी सैनिकों को मार गिराया. कुछ समय बाद हजारों की संख्या में चीनी सैनिक बैलों के गले में लालटेन लटकाकर उनके पीछे से आकर हमारी सेना पर आक्रमण कर दिया, जिसमें हमारे 114 सैनिक शहीद हो गए. 6 सैनिक जीवित शेष बचे, जिसमें एक मैं भी था.'