मैनपुरीःहर साल इस सीजन में प्रदूषण नियंत्रित रखने के लिए सरकार की ओर से अभियान के साथ ही कार्रवाई की जाती है, फिर भी इसका कुछ खास असर नहीं पड़ता. जिला प्रशासन की टीम भी गांव-गांव जाकर पराली (फसल के अवशेष) जलाने से होने वाले नुकसान के बारें में बताती है. इसके साथ ही पराली जलाने पर कानूनी प्रक्रिया के तहत होने वाली कार्रवाई भी किसानों को बताकर जागरूक करती है, लेकिन इसका पालन सभी नहीं करते हैं. अब इसी कड़ी में जिले में पराली जलाने पर पांच किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
मैनपुरी जिले में थाना किशनी क्षेत्र में लगातार प्रशासन को सेटेलाइट के माध्यम से पराली जलाने की शिकायतें मिल रही थीं. इसके बाद एसडीएम रामसकल मौर्य, कृषि निदेशक डीबी सिंह पुलिस बल के साथ चेकिंग के लिए निकले. इस दौरान पराली जलाते हुए पांच किसान मिले. इसके बाद किसान भूरे, नगला अखी राजेंद्र, पृथ्वीपुर प्रदीप, उजागरपुर उदय प्रताप, राम कैलाश निवासी अजीजपुर को पुलिस हिरासत में ले लिया गया. इन सभी किसानों को एसडीएम कोर्ट में पेश किया गया जहां से उनको शांति भंग के आरोप में जेल भेज दिया. प्रशासन की पराली जलाने के आरोप में कार्यवाही को लेकर काफी हद तक किसानों में रोष दिखा.
क्या है जुर्माने का प्रावधान
एनजीटी के आदेशानुसार दो एकड़ में फसलों के अवशेष जलाने पर 2500 हजार रुपये, दो से पांच एकड़ भूमि तक 5 हजार रुपये, 5 एकड़ से अधिक जमीन पर धान के अवशेष जलाने पर 15 हजार रुपये जुर्माना किया जाएगा. इसके लिए जिम्मेदारी सरकार ने जिला राजस्व अधिकारी की तय की है. एनजीटी के अनुसार, यह जुर्माना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए लिया जाता है.
सैटलाइट से रखी जा रही है निगाह
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर हरियाणा राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड गांवों में निगाह रख रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार किसान के धान के अवशेष जलाने की गतिविधियों पर ग्रामीण कमिटी के साथ सैटलाइट भी नजर रख रहा है. धान के अवशेष जलाने पर जिला कमिटी या ग्रामीण कमिटी कार्रवाई नहीं करेंगी तो सैटलाइट के आधार पर कार्रवाई तय है.
पराली का इस तरह कर सकते हैं उपयोग
पराली को ट्रैक्टर में छोटी मशीन (रपट) द्वारा काटकर खेत में उसी रपट द्वारा बिखेरा जा सकता है. इससे आगामी फसल को प्राकृतिक खाद मिल जाएगी और प्राकृतिक जीवाणु व लाभकारी कीट जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए पराली के अवशेषों में ही पल जाएंगे. पराली को मशीनों से उखाड़कर एक जगह 2-3 फीट का खड्डा खोदकर उसमें जमा कर सकते हैं. उसकी एक फुट की तह बनाकर उस पर पानी में घुले हुए गुड़, चीनी, यूरिया, गाय-भैंस का गोबर इत्यादि का घोल छिड़क दें और थोड़ी मिट्टी डालकर हर 1-2 फुट पर इसे दोहरा दें तो एनारोबिक बैक्टीरिया पराली को गलाने में सहायक हो जाते हैं. इतना ही नहीं पराली का प्रयोग चारा और गत्ता बनाने के अलावा बिजली बनाने के लिए भी हो सकता है. गैसीफायर द्वारा गैस बनाकर ईंधन के रूप में मिथेन गैस मिल सकती है. मगर कुछ किसानों को भ्रम है कि पराली जलाने से खेतों को फायदा होता है. वहीं ज्यादातर किसान फसल बिजाई की जल्दी और तमाम तरह के झंझटों से बचने के लिए पराली जलाना ज्यादा पसंद करते हैं.