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महोबा: इलाज के लिए दर-दर भटक रहे ग्रामीण, नहीं मिल रहा आयुष्मान योजना का लाभ

गरीबों को बेहतर इलाज के लिए केंद्र सरकार की ओर से आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना चलाई जा रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को इन योजनाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा है.

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Published : Oct 3, 2020, 9:43 PM IST

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नहीं मिल रहा आयुष्मान योजना का लाभ

महोबा: भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना का मकसद आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को खासकर बीपीएल कार्डधारकों को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है. लेकिन महोबा जिले में यह योजना और उससे मिलने वाले लाभ सिर्फ फाइलों तक सिमट कर रह गए हैं. महोबा जिले में बीते 15 दिनों के अन्दर ऐसे दो मामले सामने आए हैं जिन्हें आयुष्मान योजना का लाभ तो दूर, कार्ड बनवाने की कोशिश में कई बार आवेदन किया गया लेकिन आज तक आयुष्मान कार्ड नहीं बन पाया. जिसके चलते लेखराम और अनिल पिछले कई सालों से बेड पर हैं, लेकिन उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा.

नहीं मिल रहा आयुष्मान योजना का लाभ
कबरई कस्बे के किदवई नगर के रहने बाले लेखराम प्रजापति काम की तलाश में 2007 में दिल्ली मजदूरी करने गए थे. दिल्ली में लेखराम हादसे का शिकार हो गए. हादसे में गंभीर रूप से घायल लेखराम चलने फिरने में असमर्थ हो गए हैं. आर्थिक तंगी के चलते लेखराम का सही तरीके से इलाज भी नहीं करा पाए. पिछले 13 सालों से वह बेड पर ही लेटे रहते हैं.


वहीं दूसरा मामला महोबा जिले के बसोंठ गाँव के अनिल का है. अनिल के पैर में किसी कीड़े ने काट लिया जिसे परिजनों ने इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र चरखारी में भर्ती कराया था. जहां से अनिल को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. महोबा जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने आर्थिक रूप से कमजोर अनिल का इलाज करना भी उचित नहीं समझा और मेडिकल कालेज रेफर कर दिया. मजबूर, बेबस और लाचार पिता आर्थिक रूप से कमजोर होने के चलते बाहर न भेजने की मिन्नतें करता रहा लेकिन डॉक्टरों का दिल नही पसीजा और अनिल को मेडिकल कालेज रेफर कर दिया.

अनिल के पिता गणेश की मानें तो उसने आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए बीते एक साल में दो बार आवेदन किया लेकिन उसका आयुष्मान कार्ड आज तक नहीं बन पाया. तो वहीं लेखराम का आरोप है कि उन्होंने कई बार आयुष्मान कार्ड के लिए आवेदन किया, लेकिन उनका भी कार्ड आज तक नहीं बन पाया. बूढ़े माता-पिता किसी तरह मजदूरी कर उनका भरण पोषण करते हैं. लेखराम का कहना है कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास तो मिल गया लेकिन इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड नहीं बन पाया. आज भी इस उम्मीद में बैठें है कि कब उनका आयुष्मान कार्ड बनेगा और कब वो अपना इलाज करा सकेंगे और अपने पैरों पर खड़े होंगे.


अनिल के पिता गनेश ने बताया कि हमारे बच्चे को किसी कीड़े ने काट लिया, जिससे उसके पैर में कीड़े पड़ गए हैं. आज उसका इलाज कराने महोबा आये थे जहाँ से डॉक्टर ने झांसी रेफर कर दिया है. लेकिन हमारे पास न तो पैसे हैं और न ही आयुष्मान कार्ड है. अगर पैसा या आयुष्मान कार्ड होता तो पांच सालों से हमारा बच्चा बीमार नहीं रहता. कार्ड के लिए कई वार आवेदन किया लेकिन कार्ड नहीं बन सका.

वहीं इस मामले में जिला अस्पताल महोबा के डॉक्टर डीके सुल्लेरे ने बताया कि मरीज के पैर में सड़न लग गई है और हड्डी में भी गलन लग गई है. इस वजह से मेडिकल कालेज झांसी रेफर कर दिया गया है. आयुष्मान कार्ड है कि नहीं इसके बारे में जानकारी नहीं है.

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