महोबा: उत्तर प्रदेश सरकार की खनन नीति के विरोध में महोबा जिले के क्रेशर व्यवसायी हड़ताल पर चल रहे हैं. इससे लगभग एक लाख मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट बढ़ गया है. सरकार को पत्थर मंडी से मिलने वाला राजस्व भी तालाबंदी के कारण कम होने के आसार बढ़ गए हैं.
17 अगस्त से क्रेशर यूनियन ताला लगाकर हड़ताल पर
जिले की ग्रेनाइट पत्थर मंडी कबरई से सालाना लगभग 400 करोड़ रुपये का राजस्व सरकार को जाता है, लेकिन तालाबंदी के कारण 10 करोड़ की लागत वाले स्टोन क्रेशर नीलामी की कगार पर पहुंच गए हैं. जिले में स्थापित सबसे बड़ी पत्थर मंडी पर 17 अगस्त से क्रेशर यूनियन ताला लगाकर हड़ताल पर चले गए हैं. इस तालाबंदी से लगभग एक लाख मजदूर बेरोजगार हो गए हैं, जबकि 5 हजार के करीब ट्रक बेकार खड़े हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि एनएच 34 के टोल प्लाजा पर सन्नाटा पसरा हुआ है. राज्य की खनन नीति के विरोध में यह तालाबंदी हुई है.
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एक लाख मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट
इस मंडी से रोज पांच हजार ट्रक गिट्टी लेकर देश और प्रदेश के कोने-कोने में जाते थे. मंडी का सिर्फ बिजली बिल ही करीब 20 करोड़ रुपये का होता था. इस हड़ताल की वजह से सरकार को अरबों रुपये का घाटा होने का अनुमान है. स्टोन क्रेशरों की हड़ताल के बाद इससे जुड़े सभी उघोग भी ठप्प हो गए हैं. पहाड़ो में काम करने वाले एक लाख मजदूर बेरोजगार हो गए हैं, तो जेसीबी ड्राइवर मशीन ऑपरेटर्स, ट्रक ड्राइवर, ढाबे वालों पेट्रोल-पम्प आदि के कारोबार प्रभावित हुए हैं.