लखनऊःमहोबा जिले में क्रशर के कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत और भ्रष्टाचार के मामले में फंसे तत्कालीन आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार इन दिनों फरार हैं. निलंबित आईपीएस अधिकारी के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है.
फरार आईपीएस के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी, जाने पूरा मामला - ips manilal patidar absconding
महोबा जिले में क्रशर के कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत और भ्रष्टाचार के मामले में फंसे तत्कालीन आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार इन दिनों फरार हैं. निलंबित आईपीएस अधिकारी के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है.
इंद्रकांत के भाई ने लगाए थे आरोप
महोबा में क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के बाद उनके भाई ने तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार पर 6 लाख रुपए की रिश्वत मांगने और हत्या करवाने का मामला दर्ज कराया था. जिसके बाद शासन ने उन्हें निलंबित कर दिया था. पाटीदार पर 50 हजार रुपए का पुलिस विभाग ने इनाम भी घोषित किया है. उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार प्रयास कर रही है. लेकिन अभी तक सफलता हाथ नहीं लगी है.
आईपीएस मणिलाल पाटीदार पर लुकआउट नोटिस
महोबा के क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत मामले में वांछित चल रहे आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार फरार चल रहे हैं. शासन ने उन पर 50 हजार का इनाम घोषित किया है. इसके बाद भी उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. प्रयागराज और महोबा पुलिस की संयुक्त टीम ने फरार आईपीएस की तलाश में राजस्थान के कई ठिकानों पर छापेमारी की, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी .अब उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया है. अब वह विदेश भी नहीं भाग पाएंगे. दरअसल, पुलिस को ऐसी आशंका है कि वह विदेश भाग सकते हैं. जिसके चलते मामले की विवेचना अटक जाएगी. इसी को ध्यान में रखते हुए विवेचक एसपी क्राइम ने लुक आउट नोटिस जारी किया है.
क्या है पूरा मामला
महोबा जिले में क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. जिसमें वह तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार पर उनसे 6 लाख रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं वीडियो के वायरल होने के बाद अगले दिन ही उन्हें गोली लग गई. फिर उन्हें कानपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उनकी मौत हो गई. इसके बाद उनके भाई ने मणिलाल पाटीदार समेत थाना इंचार्ज, सिपाहियों पर मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में जांच में मणिलाल पाटीदार दोषी साबित हुए. जिसके बाद शासन ने उन्हें निलंबित कर दिया था.