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महोबा: गुरु गोरखनाथ की तपोभूमि की ओर नहीं है योगी आदित्यनाथ का ध्यान - गोरखगिरी पर्वत पर्यटको को आकर्षित करने का केंद्र है

उत्तर प्रदेश के महोबा से सटा गोरखगिरी पर्वत पर्यटको को आकर्षित करने का दम रखता है. यहां की खूबसूरती यहां के लोगों के परिश्रम की देन है. मान्यता के अनुसार यहां प्रणेता गुरु गोरखनाथ ने भी यहीं पर सातवें शिष्य दीपक नाथ के साथ तपस्या की थी.

गोरखगिरी पर्वत कर रहा पर्यटको को आकर्षित.

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Published : Oct 13, 2019, 7:25 PM IST

Updated : Oct 13, 2019, 9:05 PM IST

महोबा: गोरखगिरी पर्वत की ऐतिहासिकता उतनी ही पुरानी है, जितना पुराना खजुराहो है. महोबा जिले के मुखायल से एक किमी की दूरी पर यह गोरखगिरी पर्वत पर बसा है. इस पर्वत की श्रृंखला पर ग्रेनाइट की चट्टानों पर बनी आकृतियां इसकी खूबसूरती पर चार चांद लगा देती हैं जो लोगों का मन मोह लेती है.

गोरखगिरी पर्वत कर रहा पर्यटको को आकर्षित.

यह पर्वत खजुराहो से किसी मायने में कम नहीं है. यह स्थान देशी-विदेशी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने का दम रखता है. पहाड़ पर चढ़ते ही आनंद आश्रम मिलता है और सुंदरता ऐसी जैसे मनाली और शिमला पहुंच गए हो. इस पर्वत की खास बात है कि इसी पर्वत पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास काल का कुछ समय व्यतीत किया था. वहीं नाथ संप्रदाय के प्रणेता गुरु गोरखनाथ ने भी यहीं पर सातवें शिष्य सिध्दों दीपक नाथ के साथ तपस्या की थी, जिसके बाद उन्हीं के नाम पर इस पर्वत का नाम गोरखगिरी पड़ा.

बुंदेलखंड के ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा गोरखगिरी के बिना पूरी नहीं होती. यह पर्वत महज इतिहास और धार्मिक महत्व का प्रतीक है. पर्वत पर अद्भुत शिलाओं का संगम है. हर शिला कुछ बोल रही है. इसके अलावा यहां कई प्राकृतिक झरने और शानदार गुफाएं हैं. इन गुफाओं में कभी गुरु गोरखनाथ अपने शिष्यों के साथ रहते थे.

सिद्ध बाबा की इस पवित्र भूमि का विशेष महत्व है. हर पूर्णमासी पर लोग गोरखगिरी की परिक्रमा करते है. वहीं गुरु पूर्णिमा को यहां विशाल भंडारा होता है. यहां आनंद आश्रम से रोबोट शेर की आकृति की शिलाएं दिखती हैं. थोड़ी दूर चलने पर ही कछुआ और शेषनाग की भी आकृति शिलाओं पर दिखती है.

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वहीं पर्वत के दक्षिण में विशाल चट्टान पर एक नृत्य करती महिला और साधु की प्रतिमा है. इन अनोखी शिलाओं को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग उमड़ते हैं. गोरखगिरी को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की मांग यहां के समाजसेवियों द्वारा लंबे समय से की जा रही है.

गोरखगिरी के विकास का जो कुछ भी काम हुआ है यहां के स्थानीय लोगों की देन है. श्रमदान से 50 फीट लंबा और सात फीट गहरा और दस फीट चौड़ा गोरख सरोवर खोदकर इसका खोया वैभव लौटने का प्रयास यहां के श्रमदानियों द्वारा किया गया, जिसके कारण अब इसमें पानी है. मान्यता है कि पहाड़ में जड़ी बूटियां बहुतायत में होने से इसके पानी का रंग बदला है. बीते वर्ष चरखारी आये सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि महोबा में गुरु गोरखनाथ का स्थान है. इससे महोबा से अब उनका भी रिश्ता जुड़ गया है.

Last Updated : Oct 13, 2019, 9:05 PM IST

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