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दिव्यांग भाई-बहन के माता-पिता को कोरोना ने छीना, अब सिस्टम के सामने पड़ रहा रोना

बेबसी, लाचारी और अक्षमता ये शब्द जहन में आते ही हर किसी के मन में दया के भाव उमड़ने लगते हैं, लेकिन सरकारी सिस्टम में काम करने वालों में दया बची ही नहीं. महोबा के भटीपुरा मोहल्ले के रहने वाले दिव्यांग भाई-बहन की कहानी जानकर यही लगता है. आप भी जानिए दिव्यांग रामप्रसाद और उषा की कहानी...

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दिव्यांग भाई-बहन.

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Published : Jun 12, 2021, 5:49 PM IST

Updated : Jun 12, 2021, 8:45 PM IST

महोबाः देश में कोरोना ने हाहाकार मचाकर रखा है. दवा, ऑक्सीजन और अस्पताल में बेड की कमी के चलते लोगों की मौत हुई. सरकार की तरफ से समय-समय पर मदद के लिए योजनाएं चलाईं, लेकिन महोबा के भटीपुरा गांव के दिव्यांग भाई-बहन को सिस्टम के सामने रोना पड़ रहा है. निःशुल्क मिलने वाले राशन को कोटेदार ने देने से इनकार कर दिया है. साथ ही विद्युत विभाग ने बकाया बिजली का हवाला देते हुए घर का कनेक्शन काट दिया है.

कोरोना ने छीना माता-पिता को

मामला महोबा जिला मुख्यालय के भटीपुरा मुहल्ले का है. यहां रहने वाले रामप्रसाद दिव्यांग हैं. इनकी पांच बहने थीं, जिनमें से एक बहन की मौत हो चुकी है. जबकि चार में से तीन बहन शांति, हेमा और ज्ञानवती की शादी हो चुकी है. पांचवी बहन उषा भी दिव्यांग है. रामप्रसाद के पिता मुन्ना लाल मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करते थे. कोरोना की दूसरी लहर में इस परिवार को नजर लग गई. परिवार के मुखिया मुन्ना लाल की 1 मई को बांदा मेडिकल कॉलेज में कोरोना से मौत हो गई. उसके ठीक एक माह बाद 2 मई को रामप्रसाद की मां फूला देवी ने भी कोरोना संक्रमण से दम तोड़ दिया.

दिव्यांग भाई-बहन की कहानी.

कोरोना की मार के बाद सिस्टम की झेल रहे मार

माता-पिता की मौत के बाद दिव्यांग भाई-बहन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. सरकारी मुलाजिमों से मदद की आस में सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने के बाद भी दिव्यांग भाई-बहन को कोई भी सरकारी मदद नहीं मिली. हद तो तब हो गई जब सरकार द्वारा दिया जाने वाला निःशुल्क राशन भी, सरकारी दुकान संचालक ने देने से इंकार कर दिया. रामप्रसाद का आरोप है कि कोटेदार का कहना है कि ई-पॉश मशीन में अंगूठे का निशान जब तक नहीं लगेगा, राशन नहीं मिलेगा. रामप्रसाद का कहना है कि उनका और उनकी बहन का अंगूठा मशीन में फिट नहीं बैठता. दिव्यांग भाई-बहन की परेशानी यहीं नहीं खत्म हुई. विद्युत विभाग ने बिजली बिल बकाया होने की बात कहकर घर का कनेक्शन काट दिया है.

15 दिनों से बड़ी बहन कर रही है देखभाल

रामप्रसाद की बड़ी बहन ज्ञानवती को पति ने 15 साल पूर्व छोड़ दिया था. ज्ञानवती तभी से अपने 3 बच्चों के साथ किराए का मकान लेकर रहती हैं. मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करती हैं. माता-पिता की मौत होने के बाद पिछले 15 दिनों से ज्ञानवती दिव्यांग रामप्रसाद और उषा की देखभाल कर रही हैं.

दिव्यांग रामप्रसाद और उषा.

डीएम ने दिया है मदद का आश्वासन

रामप्रसाद ने कहा कि जिलाधिकारी के पास जाकर प्रार्थना पत्र देकर मदद की गुहार लगाई है. वहीं जिलाधिकारी ने जांच कर मदद करने का आश्वासन दिया है. एसडीएम मो. अवेश ने कहा कि मामला जानकारी में आया है. हर सम्भव मदद की जाएगी. राशन के लिए सप्लाई इंस्पेक्टर को बता दिया गया है. अगर कोटेदार ने गलत की है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

दिव्यांगों के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाएं

1. निराश्रित दिव्यांगजन के भरण-पोषण हेतु अनुदान (दिव्यांग पेंशन) योजना

इस योजना के तहत ऐसे दिव्यांगजन जिन्होंने 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली हो और न्यूनतम 40 प्रतिशत की दिव्यांगता हो, साथ ही प्रदेश के निवासी हों, को लाभ दिया जाएगा. गरीबी की रेखा की परिभाषा के अन्दर आने वाले दिव्यांगजन अनुदान के पात्र होंगे. अनुदान प्राप्त करने के लिए जिले के प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा जारी प्रमाण-पत्र मान्य होगा. इस योजना के अन्तर्गत अनुदान की दर रु. 500/- प्रति लाभार्थी, प्रतिमाह दी जाएगी. साथ ही समय-समय पर शासन द्वारा संशोधित दर अनुदान राशि दी जाएगी.

2. दिव्यांगजन के पुनर्वासन हेतु दुकान निर्माण/दुकान संचालन योजना

इस योजना के तहत ऐसे दिव्यांगजन जिनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक, किन्तु 60 वर्ष से अधिक न हो, को लाभ दिया जाएगा. दिव्यांगता 40 प्रतिशत या उससे अधिक हो. दुकान निर्माण हेतु रु. 20,000, दुकान, खोखा, गुमटी, हाथ ठेला संचालन हेतु रु. 10,000 की धनराशि प्रदान की जाती है. 20,000 में 15,000 की धनराशि 4 प्रतिशत साधारण ब्याज पर ऋण के रूप में तथा 5,000 अनुदान के रूप में प्रदान की जाती है. इसी प्रकार 10,000 में 7,500 की धनराशि 4 प्रतिशत साधारण ब्याज पर ऋण के रूप में तथा 2,500 अनुदान के रूप में प्रदान की जाती है.

Last Updated : Jun 12, 2021, 8:45 PM IST

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