महोबाः देश में कोरोना ने हाहाकार मचाकर रखा है. दवा, ऑक्सीजन और अस्पताल में बेड की कमी के चलते लोगों की मौत हुई. सरकार की तरफ से समय-समय पर मदद के लिए योजनाएं चलाईं, लेकिन महोबा के भटीपुरा गांव के दिव्यांग भाई-बहन को सिस्टम के सामने रोना पड़ रहा है. निःशुल्क मिलने वाले राशन को कोटेदार ने देने से इनकार कर दिया है. साथ ही विद्युत विभाग ने बकाया बिजली का हवाला देते हुए घर का कनेक्शन काट दिया है.
कोरोना ने छीना माता-पिता को
मामला महोबा जिला मुख्यालय के भटीपुरा मुहल्ले का है. यहां रहने वाले रामप्रसाद दिव्यांग हैं. इनकी पांच बहने थीं, जिनमें से एक बहन की मौत हो चुकी है. जबकि चार में से तीन बहन शांति, हेमा और ज्ञानवती की शादी हो चुकी है. पांचवी बहन उषा भी दिव्यांग है. रामप्रसाद के पिता मुन्ना लाल मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करते थे. कोरोना की दूसरी लहर में इस परिवार को नजर लग गई. परिवार के मुखिया मुन्ना लाल की 1 मई को बांदा मेडिकल कॉलेज में कोरोना से मौत हो गई. उसके ठीक एक माह बाद 2 मई को रामप्रसाद की मां फूला देवी ने भी कोरोना संक्रमण से दम तोड़ दिया.
कोरोना की मार के बाद सिस्टम की झेल रहे मार
माता-पिता की मौत के बाद दिव्यांग भाई-बहन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. सरकारी मुलाजिमों से मदद की आस में सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने के बाद भी दिव्यांग भाई-बहन को कोई भी सरकारी मदद नहीं मिली. हद तो तब हो गई जब सरकार द्वारा दिया जाने वाला निःशुल्क राशन भी, सरकारी दुकान संचालक ने देने से इंकार कर दिया. रामप्रसाद का आरोप है कि कोटेदार का कहना है कि ई-पॉश मशीन में अंगूठे का निशान जब तक नहीं लगेगा, राशन नहीं मिलेगा. रामप्रसाद का कहना है कि उनका और उनकी बहन का अंगूठा मशीन में फिट नहीं बैठता. दिव्यांग भाई-बहन की परेशानी यहीं नहीं खत्म हुई. विद्युत विभाग ने बिजली बिल बकाया होने की बात कहकर घर का कनेक्शन काट दिया है.
15 दिनों से बड़ी बहन कर रही है देखभाल
रामप्रसाद की बड़ी बहन ज्ञानवती को पति ने 15 साल पूर्व छोड़ दिया था. ज्ञानवती तभी से अपने 3 बच्चों के साथ किराए का मकान लेकर रहती हैं. मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करती हैं. माता-पिता की मौत होने के बाद पिछले 15 दिनों से ज्ञानवती दिव्यांग रामप्रसाद और उषा की देखभाल कर रही हैं.