महराजगंज: जिले के निचलौल थाना क्षेत्र के इंडो-नेपाल बॉर्डर से सटे बहुआर गांव के ग्रामीणों ने श्मशान घाट पर बैरियर लगा दिया हैस, जिसके चलते लोगों को मजबूर होकर शव का दाह संस्कार करने के लिए करीब पांच किलोमीटर दूर गंडक नदी के किनारे पथलहवा घाट जाना पड़ रहा हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जहां पहले श्मशान घाट पर 2 से 4 शव जलते थे, वहीं अब करोना काल में 15 से 20 शव जलते हैं, जिससे गांव में प्रदूषण बढ़ रहा है इसलिए हम लोगों ने बैरिकेटिंग की है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, तेरह चार पुल से जाने वाली टेल फॉल नहर के किनारे श्मशान घाट है, जो कि गांव से काफी नजदीक है. पहले इस घाट पर हर रोज दो-चार शव जलाया जा रहा था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के चलते इस घाट पर प्रतिदिन 20 से 25 शव जलाया जाने लगा. वहीं कुछ शव को पूर्ण रूप से जलने से पहले कुछ लोग शव छोड़कर घाट से वापस लौट जा रहे थे, जिसके चलते गांव का वातावरण खराब हो रहा था. ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना संक्रमित मरीजों का शव जलने से गांव में भय का माहौल है.