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मनरेगा में भ्रष्टाचार, तालाब सुंदरीकरण के नाम पर 25.87 लाख का घोटाला - ग्राम पंचायत परतावल

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में जहां मनरेगा योजना भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई है, वहीं जिम्मेदार अधिकारीयों और कर्मचारियों की मिली भगत से फर्जी तरीके से 25.87 लाख का भुगतान किराए जाने के बाद आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है.

मनरेगा से तालाब सुंदरीकरण के नाम पर घोटाला
मनरेगा से तालाब सुंदरीकरण के नाम पर घोटाला

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Published : May 30, 2021, 2:26 PM IST

महराजगंज: जिले में मनरेगा योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. यहां फर्जी तरीके से मास्टर रोल जारी कर जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा बेखौफ धन का भुगतान कर बंदरबांट किया जा रहा है. ताजा मामला जिले के परतावल ब्लॉक के ग्राम सभा परतावल का है. यहां मनरेगा से तालाब सुंदरीकरण के नाम पर 25.87 लाख रुपये का घोटाला किया गया है. मामला प्रकाश में आने के बाद आनन-फानन में सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया.

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बिना काम हुए हो गया 25.87 लाख का भुगतान

वर्ष 2018-19 में ग्राम पंचायत परतावल द्वारा मनरेगा से तालाब का सुन्दरीकरण का कार्य कराया जाना था, जिसके लिए मास्टर रोल की आईडी जनरेट हुई थी. कार्य भी शुरू हो गया था. इसी बीच खराब गुणवत्ता को लेकर ग्रामीणों ने विरोध कर दिया. जिसके कारण काम बंद हो गया. काम बंद होने के बाद भुगतान होने पर भी रोक लगा दी गई थी. फर्जीवाड़ा करने में माहिर जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों ने बेखौफ होकर कार्य हुए बिना सत्यापन रिपोर्ट लगा दी और बिना कार्य हुए 25.87 लाख रुपये का भुगतान ले लिया. भुगतान पाने के लिए ब्लॉक के अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा विनय कुमार मौर्य ने वन विभाग के तत्कालीन एसडीओ घनश्याम राय की मिलीभगत से आईडी वन विभाग को ट्रांसफर कर दी. इसके बाद एपीओ ने एसडीओ को ही कार्य सत्यापन की जिम्मेदारी सौंप दी. जिम्मेदारी मिलने के बाद एसडीओ ने बिना कार्यस्थल का सत्यापन किये ही रिपोर्ट लगा दी. मामला प्रकाश में आने के बाद जहां ब्लॉक कर्मियों में हड़कंप मच हुआ है, वहीं इस मामले में वन विभाग के सेवानिवृत्त एसडीओ, मनरेगा के एपीओ, डीएफओ कार्यालय के कंप्यूटर ऑपरेटर समेत 6 के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है.

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जांच में सही पाए जाने के बाद मुकदमा हुआ दर्ज

परतावल ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी प्रवीण कुमार शुक्ला ने बताया कि बिना कार्य कराए भुगतान की शिकायत मिली थी. जो जांच में सही पाया गया है. इस मामले में तत्कालीन एसडीओ, एपीओ के अलावा कार्यालय के कंप्यूटर ऑपरेटर अरविंद श्रीवास्तव लिखा लिपिक विद्रेश कुमार सिंह, दिनेश मौर्य और एक ठेकेदार के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है.

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