महराजगंज: उत्तर प्रदेश के जिला महराजगंज मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर नन्दना गांव के रहने वाले किसान नागेंद्र पाण्डेय ने न सिर्फ खेती की विधि में सुधार किया बल्कि आस-पास के कई परिवारों को रोजगार भी उपलब्ध कराया है. नागेंद्र ने कृषि विषय में स्नातक किया और फिर नौकरी की तलाश शुरू कर दी. 15 साल तक उन्होंने एक अच्छी नौकरी ढूंढी लेकिन उनकी ये तलाश पूरी नहीं हुई.
नागेंद्र ने अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती करना शुरू कर दिया. नागेंद्र ने विचार बनाया कि इस तरह सामान्य खेती से ये अपनी शिक्षा का उपयोग नहींं कर सकते, तब इन्होंने स्वयं निर्मित वर्मीकम्पोस्ट से खेती करना शुरू किया.
केंचुए से बनाते हैं खाद
नागेंद्र बताते हैं कि वर्मी खाद तैयार करने के लिए उन्हें केंचुओं की जरूरत थी. इसके लिए उन्होंने कृषि व उद्यान विभाग से संपर्क किया लेकिन उन्हें यहां से केंचुए नहीं मिल पाए. इसके बाद उनके एक दोस्त ने उन्हें लगभग 40-50 केंचुए दिए. नागेंद्र ने इन केचुओं को चारा खिलाने वाली नाद में गोबर व पत्तियों के बीच डाल दिया. 45 दिनों में इनसे लगभग 2 किलो केंचुए तैयार हो गए. नागेंद्र पाण्डेय ने इसकी शुरुआत साल 2000 में की और अब वह 120 फीट जगह में वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर रहे हैं.