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कोरोना लॉकडाउन में फंसे फ्रांसीसी नागरिक, भारत सरकार के निर्देशों का कर रहे अनुपालन

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में एक फ्रांसीसी परिवार लॉकडाउन के चलते पिछले 21 मार्च से गांव कोल्हुआ उर्फ सिंहोरवा में रह रहा है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा इनकी कोरोना जांच कराई गई, जिसमें सभी निगेटिव पाए गए हैं.

फ्रांसीसी नागरिक
फ्रांसीसी महिला ब्लेनचाई इप पैलेरस

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Published : Apr 16, 2020, 8:04 PM IST

Updated : Apr 26, 2020, 8:46 PM IST

महराजगंज: जिले के लक्ष्मीपुर क्षेत्र के कोल्हुआ ढाला शिव मंदिर के पास लाॅकडाउन में फंसे फ्रांसीसी परिवार को गांव के लोग भा गये हैं. ये लोग इतने घुल मिल गये हैं कि होटल और गेस्ट हाउस में ठहरने की प्रशासन की पेशकश को भी ठुकरा दिया और कोरोना से निजात के लिए शिव मंदिर में भगवान भोले नाथ की पूजा-अर्चना कर रहे हैं.

फ्रांसीसी महिला ब्लेनचाई इप पैलेरस

जिले के कोल्हुआ उर्फ सिंहोरवा गांव में फ्रांसीसी नागरिकों का घर की तरह प्यार और अतिथि की तरह सत्कार किया जा रहा है. फ्रांस के टूलोज शहर निवासी पैलेरेस इनट्राइज जोसेफ अपनी पत्नी ब्लेनचाई इप पैलेरस, बेटियों ओपैलो, मार्गीमाइड, पैलेरेस लोला जेनफर और बेटे पैलेरेस ट्राममेटिव के साथ वाहन चलाते हुए इस गांव में पहुंचे थे. अचानक लॉकडाउन की घोषणा के कारण यह वापस अपने देश नहीं लौट सके. अब गांव के एक-एक परिवार से फ्रांसीसी नागरिक पूरी तरह से घुल मिल गए हैं.

कई देशों की यात्रा के बाद जब यह परिवार भारत-नेपाल के बॉर्डर स्थित सोनौली पहुंचे तो लॉकडाउन के चलते सीमा सील हो गई, जिसके बाद लक्ष्मीपुर जंगल के किनारे स्थित कोल्हुआ उर्फ सिंहोरवा गांव के एक मंदिर परिसर में इन्होंने शरण ली. पुलिस और प्रशासन ने कई बार प्रयास किया कि इनको नगर में किसी सुरक्षित स्थान पर रुकने की व्यवस्था की जाए. लेकिन फ्रांसीसी नागरिक जाने को तैयार नहीं हुए, जिसके बाद से पूरा गांव इनका परिवार बन गया.

फ्रांस से आईं ब्लेनचाई इप पैलेरस ने बताया कि इतने दिनों में हिन्दी भाषा की काफी जानकारी हो गई है. साथ ही हमारा परिवार भारत सरकार के दिशा निर्देशों का पालन भी कर रहा है. हम यहां के ग्रामीणों के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखते हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना वायरस की जांच कराई गई, जिसमें सभी निगेटिव पाए गए हैं.

ब्लेनचाई ने बताया कि फरवरी माह में परिवार के साथ यात्रा पर निकले थे. पाकिस्तान भ्रमण के बाद 1 मार्च को बाघा बार्डर से होते हुए भारत में प्रवेश किए. फिलहाल दिल्ली में फ्रांसीसी दूतावास से संपर्क कर वीजा अवधि बढ़ाई गई है. आगामी 8 माह में नेपाल, म्यांमार, इंडोनेशिया, थाईलैंड मलेशिया होते पुन फ्रांस जाने की योजना है.

फ्रांसीसी परिवार के पास विशेष वाहन में ही अस्थाई तौर पर रुकने के लिए संसाधन है और गांव वालों के साथ काफी घुल मिल गए हैं. यह लोग फ्रेंच और अंग्रेजी भाषा बोलते और समझते हैं लेकिन यहां हिंदी शब्दों को भी काफी कुछ समझने लगे हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस तरह भारत की संस्कृत है अतिथि देवो भव: उसको देखते हुए हम सभी हर संभव मदद कर रहे हैं, जिससे जब वह अपने देश वापस जाएं तो भारत देश की अच्छी यादें लेकर जाएं. मंदिर के पुजारी के साथ शाम को कीर्तन भजन में भी फ्रांसीसी परिवार हिस्सा लेता है और उन्हें काफी आनंद आ रहा है.

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पिछले 10 महीने से वह अपने परिवार के साथ ट्रैवल कर रही हैं. उन्हें यात्रा करना और लोगों से मिलना जुलना बहुत अच्छा लगता है. लॉकडाउन के कारण उन्हें यहां रुकना पड़ा है, जहां धूप है लेकिन पेड़ों की छांव उससे बचा रही है. मेरे परिवार के साथ यहां के लोगों का व्यवहार काफी अच्छा है. बाबा मेरे परिवार के लिए भी खाना बनाते हैं. गांव के लोग दूध फल सब्जियां भी देते हैं.नेपाल की सीमा खुलने का इंतजार है.
-वर्जीनी,फ्रांसीसी महिला

Last Updated : Apr 26, 2020, 8:46 PM IST

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