महराजगंज: नेपाल के पहाड़ी इलाकों में बीते 4 दिनों से लगातार हो रही बारिश से गंडक नदी सहित तीन नदियां जहां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं, वहीं कई पहाड़ी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को छूने के कगार पर है. नेपाल के पहाड़ों से बहकर आ रहे महाव नाले का तटबंध चार जगहों से टूट गया है, जिससे सैकड़ों एकड़ फसल जहां जलमग्न हो गई है, वहीं कई घरों में बाढ़ का पानी भी घुस गया है.
महाव नाले पर बने तटबंध के चार जगह से टूटने से आधा दर्जन गांव की जहां सैकड़ों एकड़ फसल डूब चुकी है, वहीं कई घरों में बाढ़ का पानी भी घुस गया है. इससे ग्रामीण डरे हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौके पर निरीक्षण करने नहीं आया. हर साल उन लोगों को बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ती है. अभी भी बाढ़ आने का खतरा सता रहा है.
सबसे बड़ी बात यह है कि सिंचाई विभाग इस महाव नाले पर हर वर्ष करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाता है, लेकिन जैसे ही बारिश का पानी आता है, महाव नाला टूट जाता है. ग्रामीणों ने कहा कि जब भी बारिश का मौसम आता है, हम लोगों की फसलें नष्ट हो जाती हैं. इसकी सुध आज तक किसी ने नहीं लिया. अधिकारी आते हैं, निरीक्षण करते हैं और चले जाते हैं, लेकिन आज तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे यहां आस-पास के ग्रामीण काफी भयभीत रहते हैं. फसलों के साथ-साथ गांव में पानी भी घुस जाता है, इसलिए ग्रामीण काफी भयभीत रहते हैं. बारिश का समय आते ही लोगों के मन में डर सताता है.
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वहीं इस पूरे मामले में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता राजीव कपिल ने बताया कि भारत में महाव नाला टोटल 23 किलोमीटर बहता है जो कि 8 किलोमीटर वन क्षेत्र में पड़ता है, जिसकी सफाई हम नहीं करा सकते हैं. वहां नाले की चौड़ाई भी कम है. इसलिए जब बाढ़ का पानी नेपाल से आता है, वह निकल नहीं पाता है. इस कारण जहां सिल्ट होता है, वहां तटबंध टूट जाता है. यही कारण है हर वर्ष महाव नाले पर बना तटबंध टूट जाता है.