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इंद्रदेव यूपी के 31 जिलों से नाराज, खेतों में पड़ी दरारों देखकर किसान चिंतित

महाराजगंज में बारिश ना होने से किसानों की मुश्किलें बड़ गई है. बारिश न होने से खेत में दरारे पड़ गई है. पंपिंग सेट से फसलों की सिंचाई करने के लिए किसान विवश हो गए हैं.

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Published : Jul 28, 2023, 7:10 PM IST

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सूखे की चपेट में महराजगंज

सूखे की चपेट में महराजगंज, कृषि वैज्ञानिक डॉ .वीपी सिंह और किसान सुरेश ने दी जानकारी

महराजगंज:देश के अधिकतर राज्यों में हो रही मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो रहा है. पश्चिमी यूपी के जिले में बारिश और दिल्ली में यमुना ओवरफ्लो होने से बाढ़ की स्थिति है. यहां के लोग बारिश और बाढ़ से परेशान हो रहे हैं. वहीं, पूर्वांचल के 30 से अधिक जिलों में बारिश न होने से सूखे जैसी स्थिति हो गई है. यहां के किसानों से जैसे इंद्र भगवान नाराज हो गए हैं. धान की सूखी फसल को देखकर किसानों के आंसू निकल रहे हैं. किसान इंद्रदेव से आस लगाए हुए हैं कि बारिश हो जाए. फिलहाल किसान विभिन्न माध्यमों से धान की फसल की सिंचाई कर रहे हैं.

इसी तरह हिमालय की तराई में बसा महराजगंज जिले में सूखे जैसी स्थिति हो गई है. यहां खेतों में दरारें पड़ गई हैं. पानी के अभाव में धान के पौधे नहीं बढ़ रहे हैं. बारिश नहीं होने से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है. पंपिंग सेट से फसलों की सिंचाई करने को किसान मजबूर हो गए हैं. इससे खेती की लागत बढ़ गई है. जुलाई माह में सामान्य से काफी कम बारिश हुई है. महराजगंज जिला प्रदेश के उन 31 जिलों में शामिल है जहां सूखे का संकट मंडरा रहा है.

किसानों की मानें तो इस बार की खेती काफी महंगी हो गई है. समय से बारिश ना होने के कारण सही से सिंचाई नहीं हो पा रही है. साथ ही खेतों में खाद भी नहीं डाली जा रही है. इस बार धान की फसल काफी महंगी हो रही है. बारिश ना होने से बार-बार पानी चलाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि अगर यही स्थिति बनी रही तो इस बार सूखे की स्थिति बन जाएगी. किसान सुरेश का कहना है कि यहां हालात बत्तर है. फसल सूख चूकी है. पानी के पंप से फसलों को कितने दिन पानी देते रहेंगे. एक दो दिन बाद फसल फिर सूख जाती है. सरकार को इस समस्या का निवारण करना चाहिए. सरकार इसपर ध्यान नहीं देगीं तो जनता क्या खाएगी. कैसे रहेगी प्रदेश की जनता. किसानों परेशान है.


कृषि वैज्ञानिक डॉ. वीपी सिंह ने बताया कि किसान बारिश होने का इंतजार करें. तब तक पंपों से फरलों की सिंचाई करें. पिछले साल भी जुलाई के माह में बारिश कम हुई थी. ऐसी दशा में फसलों में परिवर्तन (crop diversion) करना होगा. जलवायु में हो रहे परिवर्तन के अनुसार फसलों में भी परिवर्तन करना होगा. धान की फसल के बजाए किसान दलहन की फसलों को बढ़ावा दें. सब्जियों की फसल उगाए. टमाटर, फूलकोभी, पत्ता गोभी की फसल की नर्सरी डाले. इससे हम जलवायु पर नियंत्रण ला सकते है. खाद के समस्या की तो अभी नेनो यूरिया उपलब्ध है. इसे तरल के रूप में भी डाल सकते है. नेनो यूरीया का पैकेट साल भर चलता है.

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