महराजगंज : जिले में राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिला मुख्यालय के नगर पालिका क्षेत्र में खतौनी से जिलाधिकारी का नाम काटकर भूमि की दो बार रजिस्ट्री करा दी गई. मामला सामने आने के बाद जिलाधिकारी भी हैरान हैं. डीएम सत्येन्द्र कुमार ने पूरे मामले की जांच उपजिलाधिकारी सदर को सौंपी है. उन्होंने खारिज दाखिल की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.
खारिज दाखिल के लिए न्यायालय पहुंची फाइल :राजस्व विभाग में प्रत्येक छह वर्ष पर खतौनी का संशोधन कर पुराने आदेशों के आधार पर नए नाम चढ़ाए जाते हैं. यह पूरी प्रक्रिया तहसील न्यायालयों के आदेश के अनुक्रम में राजस्व कानूनगो और संबंधित लेखपाल द्वारा की जाती है. इसी क्रम में नगर पालिका क्षेत्र स्थित चिउरहां मऊपाकड़ स्थित करीब नौ डिसमिल भूमि जो कि चकबंदी के बाद से ही राजस्व विभाग के अभिलेखों में कलेक्टर के नाम से दर्ज है. वर्ष 2010 से 2016 वाली खतौनी में भी डीएम का नाम था. वर्ष 2017 में हुई खतौनी संशोधन में डीएम का नाम काटकर अन्य खातेदारों को सीधे उस भूमि का स्वामी बना दिया गया. इसके बाद उसी भूमि से नंवबर 2021 में साढ़े चार डिसमिल और फिर अक्टूबर 2022 में साढ़े चार डिसमिल भूमि को बैनामा कर दिया गया. बैनामे के बाद फाइल खारिज-दाखिल के लिए तहसीलदार न्यायालय भी पहुंच गई, लेकिन इसी बीच जिलाधिकारी के पास शिकायत पहुंचते ही मामला सामने आ गया.