लखनऊः यूपी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में युवा मतदाताओं की भूमिका निर्णायक हो सकती है. रोजगार और शिक्षा के अवसर पर युवा मतदाताओं की नजर टिकी हुई है.
उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने युवाओं को बेरोजगारी भत्ते का सब्जबाग दिखाया था. जिसपर युवाओं ने उनकी झोली भरने में कोई गुरेज नहीं की थी. सत्ता में आने के बाद समाजवादी पार्टी ने बेरोजगारी भत्ता देने का काम भी शुरू किया. लेकिन कुछ ही महीनों बाद ये योजना बंद कर दी गई. रोजगार के अवसर भी नहीं बढ़े. जिसका परिणा रहा कि अगले ही चुनाव में युवाओं ने समाजवादी पार्टी की सरकार गिराकर बीजेपी का दामन थाम लिया. अब बीजेपी पर भी रोजगार न देने के आरोप लग रहे हैं. हालांकि बीजेपी ने शिक्षा के अवसर बढ़ाने की दिशा में कुछ काम किया है.
उत्तर प्रदेश में इस बार 17 लाख नए मतदाता शामिल हुए हैं. जिनमें 11 लाख 84 हजार 18 से 19 वर्ष के हैं. यह मतदाता वे हैं, जो अपनी शिक्षा पूरी करने की ओर अग्रसर हैं. ऐसे में रोजगार उनकी पहली प्राथमिकता है. उत्तर प्रदेश में इस बार 14 करोड़ 4,00,000 मतदाता मतदान करेंगे. जिनमें 40 फीसदी युवा मतदाताओं की संख्या है. पोलिंग स्टेशन पर भी युवा मतदाता ही निर्णायक भूमिका में दिखेंगे. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने युवाओं को लुभाने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है. अधिकांश राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी पार्टियों के छात्र युवा सम्मेलन आयोजित किए हैं. जिसमें रोजगार के अवसर बढ़ाए जाने पर बल दिया गया है.
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बीजेपी के सह मीडिया प्रभारी प्रियंक पांडे कहते हैं कि पार्टी ने रोजगार और शिक्षा की दिशा में काफी काम किया है. नए मतदाता भाजपा की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहे हैं. ऐसी हालत में वह भाजपा के ही पक्ष में मतदान करेंगे. कांग्रेसी नेता शशांक त्रिपाठी का कहना है कि सभी दलों से निराश होने के बाद उत्तर प्रदेश के युवाओं का रुख इस बार कांग्रेस की ओर है. प्रियंका गांधी के प्रभावशाली नेतृत्व के चलते युवाओं का रुझान कांग्रेस की ओर बढ़ा है. आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने युवाओं को सिर्फ सपने दिखाए. नौकरी देने में जमकर अनियमितता बरती गई. युवाओं ने जब नियुक्ति पत्र मांगा, तो उन्हें लाठियां मिली. ऐसे में आम आदमी पार्टी विकल्प बनकर उभरी है.