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राजधानी में फेल साबित हो रही योगी की पुलिस, नहीं लग रही अपराधों पर लगाम

यूपी की राजधानी लखनऊ में क्राइम को रोकने में यूपी पुलिस नाकामयाब ही नहीं रही, बल्कि कई मामलों में पुलिस क्राइम सीन का अनावरण तक नहीं कर पाई, जो पुलिस के साथ ही आलाधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर रही हैं.

राजधानी में फेल साबित हो रही योगी की पुलिस.

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Published : Sep 29, 2019, 2:53 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 3:23 PM IST

लखनऊ:पिछले कुछ दशकों में पुलिस की छवि काफी धूमिल हुई है, लेकिन पुलिस के रौब और बुलंद इकबाल के बारे में आपको जानकारी चाहिए तो आप किसी बुजुर्ग से पूछ सकते हैं कि पुलिस कर्मचारी का पहले कितना सम्मान व इकबाल बुलंद रहता था, लेकिन पिछले कुछ दशकों में पुलिस के सम्मान में भारी गिरावट देखने को मिली है.

राजधानी में फेल साबित हो रही योगी की पुलिस.

अक्सर पुलिस पर सवालिया निशान खड़े होते हैं. इसके पीछे पुलिस कर्मचारियों को लेकर आने वाली भ्रष्टाचार मनमानी की खबरें है. वर्तमान में पुलिस का इकबाल बुलंद नहीं है, जिसका फायदा अपराधियों को भी मिल रहा है. वर्तमान में स्थिति यह है कि पूरे उत्तर प्रदेश में आपराधिक घटनाएं सामने आ रही हैं. अपराधियों के हौसले इस कदर बुलंद है कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 1 महीने में 13 गोली कांड जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. वहीं हत्या लूट दुष्कर्म जैसी घटनाएं भी हो रही हैं.

लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में व खासकर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगातार हो रही आपराधिक घटनाएं उत्तर प्रदेश सरकार के लिए सिरदर्द बनी हुई है. लगातार सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराध पर लगाम लगाने के लिए निर्देश जारी कर रहे हैं, लेकिन इन निर्देशों का कोई खास असर जमीन पर नहीं देखा जा रहा है.

आलम यह है कि राजधानी लखनऊ में 1 महीने में 13 गोली कांड जैसी घटनाएं सामने आती हैं. इसी के साथ लूट दुष्कर्म जैसी घटनाएं भी हो रही है. आपराधिक घटनाओं के साथ-साथ पुलिस का व्यवहार भी सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है. संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट 2019 के बाद लगातार वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस व वाहन चालकों के बीच मारपीट व बहस की घटनाएं सामने आ रही हैं. ऐसे में भले ही समाजवादी पार्टी को कानून-व्यवस्था को लेकर घेरने वाली भाजपा सरकार कानून व्यवस्था को बेहतर करने के दमाम दावे पेश कर रही हो, लेकिन सच्चाई तो यह है कि भाजपा सरकार भी अपराध पर लगाम लगाने में नाकामयाब नजर आ रही है.

पुलिस की कार्यशैली व पुलिस सिस्टम के जानकारों का कहना है कि भाजपा सरकार में भी पुलिस का इकबाल कमजोर हुआ है और यह सिर्फ भाजपा सरकार में ही नहीं पिछली समाजवादी सरकार में देखने को मिला था. भाजपा सरकार से उम्मीद थी कि इस सरकार में पुलिस का इकबाल बुलंद होगा, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है.

वरिष्ठ पत्रकार रत्नमणि लाल ने ईटीवी से खास बातचीत में बताया कि पिछली समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान अपराधियों के हौसले बुलंद हैं. लोग बाहुबल का प्रयोग करते हुए थाने से अपराधियों को छुड़ा रहे थे. बड़ी संख्या में हत्या, लूट दुष्कर्म की घटनाएं सामने आ रही थी और अपराधी पुलिस के कंट्रोल से बाहर थे. विधानसभा चुनाव में कानून व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा बना और लोगों ने भाजपा को सत्ता सौंपी जिससे कि अपराधियों पर लगाम लगे और उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था बेहतर लेकिन प्रदेश की कानून व्यवस्था को बेहतर करने में भाजपा सरकार पूरी तरीके से कामयाब नहीं नजर आ रही है.

भले ही कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए तमाम निर्देश दावे वादे किए गए हैं, लेकिन जमीन पर इन दावों और वादों का कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. अपराधियों के हौसले आज भी बुलंद हैं. आम आदमी पुलिस की इज्जत नहीं कर रहा. पुलिस के दबाव को नहीं महसूस किया जा रहा. उसका कारण है कि पुलिस का इकबाल खत्म हो रहा है जो समाज के लिए घातक है.

पुलिस के इकबाल को बुलंद करना है तो पुलिस को भी अपने अंदर बदलाव लाने होंगे जनता को विश्वास में लेना पड़ेगा. भ्रष्टाचार मनमानी का रवैया अब पुलिस विभाग के लिए ठीक नहीं है. राजधानी की इन घटनाओं से सीख ले लखनऊ पुलिस.

केस वन - शनिवार को भाजपा जिला अध्यक्ष रामनिवास यादव ने सीओ गोमतीनगर अवनीश्वर के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्रदर्शन किया. जिला अध्यक्ष रामनिवास यादव ने सीओ व चौकी इंचार्ज मटियारी के खिलाफ अपराधियों के सहयोग का आरोप लगाया जिसके बाद मामले को संज्ञान में लेते हुए एसएसपी कलानिधि नैथानी के निर्देशों पर आरोपी रियाज की गिरफ्तारी की गई इस पूरे मामले पर पुलिस कर्मचारी घिरते हुए नजर आए और लखनऊ पुलिस की खूब किरकिरी हुई

केस दो- 22 सितंबर को राजधानी लखनऊ में हुसैनगंज थाने के महाराणा प्रताप चौराहे पर पुलिस की अभद्रता के बाद आमजन ने पुलिस के खिलाफ जमके नारेबाजी की और खूब हंगामा हुआ. पुलिस पर आरोप लगाए गए कि एक पुलिस कर्मचारी ने चेकिंग के दौरान कहासुनी के बाद महिला को थप्पड़ मारा, जिसके बाद पुलिस के इस व्यवहार का जनता ने विरोध किया और पुलिस व भीड़ के बीच नोकझोंक भी हुई.राजधानी लखनऊ में हुई इस घटना ने लखनऊ पुलिस की खूब किरकिरी कराई. घटना के बाद एसएसपी कलानिधि नैथानी ने मामले की जांच सीओ कैसरबाग को सौंपी.

केस तीन-9 सितंबर को राजधानी लखनऊ में एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें ट्रैफिक चेकिंग के दौरान पुलिसकर्मी वाहन चालक से 500 रुपये की घूस लेते हुए नजर आ रहे हैं. इस तरीके से घूस लेने की घटना के बाद लखनऊ पुलिस की खूब किरकिरी हुई और एसएसपी कलानिधि नैथानी ने संबंधित पुलिस कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया. जिसके बाद मामले की जांच एसपी ट्रांस गोमती अमित कुमार को सौंपी गई.

केस चार-गाजीपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत बीते दिनों दवाई लेने जा रहे एक पत्रकार के साथ गाजीपुर थाने की पुलिस ने अभद्रता की. जिसके बाद पत्रकार व पुलिस कर्मी के बीच तीखी नोकझोंक हुई. इस नोकझोंक के बाद पुलिसकर्मी ने द्वेष भावना से पत्रकार विवेक श्रीवास्तव का चालान काटा. उच्च अधिकारियों को जब इस घटना के बारे में जानकारी मिली तो संबंधित पुलिसकर्मी को फटकार लगाते हुए चालान रद्द किया गया. सितंबर माह की आपराधिक घटनाएं पुलिस के गिरे हुए इकबाल की ही देन है कि सितंबर माह में 13 गोली कांड जैसी घटनाएं सामने आई हैं तो वहीं लूट व दुष्कर्म जैसी घटनाएं भी हुई हैं.

सितंबर माह में हुए गोलीकांड

  • 5 सितंबर को अमीनाबाद के जूते वाली गली के बाहर सब्जी विक्रेता विपिन सोनकर को गोली मारकर घायल कर दिया गया.
  • 7 सितंबर मडियाव में किराएदार से झगड़े में वकील ने लाइसेंसी असलहे से गोली चलाई. गोली किराएदार के पैर में लगी.
  • 8 सितंबर को गोमती नगर के अलकनंदा अपार्टमेंट में अभिषेक ने सास चंद्र सिंह को गोली मार आत्महत्या कर ली.
  • 9 सितंबर को बंथरा में तीन कुत्तों को गोली मार दी गई. घटना के बाद पशु हिंसा के तहत केस दर्ज कर कार्रवाई की गई.
  • 11 सितंबर को मानक नगर में प्रॉपर्टी डीलर गोलू श्रीवास्तव ने लाइसेंसी बंदूक से फायर की.
  • 12 सितंबर को सहादतगंज में निजी कंपनी के मालिक मोहम्मद इमरान को बाइक सवार बदमाशों ने गोली मारी. लखनऊ पुलिस अभी तक इस घटना का खुलासा नहीं कर पाई है.
  • 13 सितंबर को माल के भानपुर गांव में किसान विश्राम रावत को गोली मारकर घायल कर दिया गया.
  • 16 सितंबर को मोहनलालगंज में प्रॉपर्टी डीलर व फौजी अशोक यादव को बदमाशों ने गोली मार दी. पुलिस अभी तक इस घटना का खुलासा नहीं कर पाई है.
  • 17 सितंबर को गुडंबा में शराब ठेके पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर सेल्समेल जितेंद्र को बदमाशों ने घायल कर दिया. लूट की नीयत से दुकान पर पहुंचे अपराधियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की जिससे क्षेत्र में दहशत का माहौल बन गया.
  • 20 सितंबर को हसनगंज में एक व्यक्ति ने नर्स वंदना की गोली मारकर हत्या की और इसके बाद आत्महत्या कर ली.
  • 21 सितंबर को कैंट थाने के सामने पूरी विक्रेता को बाइक सवार बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस अभी तक इस घटना का खुलासा नहीं कर पाई है.
  • 21 सितंबर को मड़ियाव में स्कूली वैन चालक मेराज को बदमाशों ने गोली मारकर लहूलुहान कर दिया.
  • 23 सितंबर को हुसैनगंज में रेलवे के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शहनवाज पर बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की. जिसमें उसके सीने व पेट में गोली लगी. जमीन के आपसी विवाद के चलते परिजनों ने चचेरे भाई पर हत्या का आरोप लगाया.

राजधानी लखनऊ में लगातार आपराधिक घटनाएं सामने आ रही हैं. सितंबर माह में आपराधिक घटनाओं की बाढ़ सी आ गई जहां सितंबर में हत्या लूट बलात्कार जैसी घटनाएं हुई तो वहीं 1 महीने में 13 गोलीकांड राजधानी लखनऊ में हुए. एक और जहां अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और लगातार घटनाएं हो रही हैं तो ऐसे में लखनऊ पुलिस 13 में 7 घटनाओं के खुलासे कर अपनी पीठ थपथपा रही है.

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सोमवार को लखनऊ एसएसपी की ओर से केस डायरी सार्वजनिक की गई. जिसमें बताया गया कि 13 में से सात घटनाओं का अनावरण कर लिया गया है. पुलिस ने जिन घटनाओं का अनावरण किया है, उनमें से ज्यादातर घटनाएं आपसी रंजिश व कहासुनी के दौरान घटित हुई हैं.

Last Updated : Sep 29, 2019, 3:23 PM IST

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