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कोरोना के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लेगी योगी सरकार

योगी सरकार ने कोरोना के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लेने का फैसला लिया है. इसे विधानसभा चुनाव 2022 से जोड़कर भी देखा जा रहा है. हालांकि वर्तमान और पूर्व सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस नहीं होंगे.

कोरोना के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लेने का योगी सरकार का फैसला
कोरोना के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लेने का योगी सरकार का फैसला

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Published : Oct 26, 2021, 9:41 PM IST

Updated : Oct 27, 2021, 11:49 AM IST

लखनऊः प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जनहित को देखते हुए बड़ा फैसला लिया है. इसे विधानसभा चुनाव 2022 से जोड़कर भी देखा जा रहा है. कोरोना के संकट समय में कोविड प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर प्रदेश भर में दर्ज मुकदमे वापस करने का आदेश जारी किया गया है. इस आदेश के अनुसार करीब तीन लाख से ज्यादा जनता के मुकदमे वापस हो सकेंगे. हालांकि नेताओं के मुकदमे वापस लेने पर फिलहाल रोक लगाई गई है.

इस आदेश के अनुसार करीब तीन लाख से ज्यादा जनता के मुकदमे वापस हो सकेंगे. हालांकि नेताओं के मुकदमे वापस करने को फिलहाल रोका गया. न्याय विभाग के प्रमुख सचिव प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने जारी आदेश में कहा है कि जनहित को देखते हुए प्रदेश सरकार ने कोविड प्रोटोकॉल और लॉकडाउन के दिशा निर्देशों के उल्लंघन पर दर्ज आम जनता के खिलाफ 3 लाख से अधिक मामलों को वापस लेने का फैसला किया है.

कोरोना के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लेने का योगी सरकार का फैसला

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आदेश के अनुसार आपदा प्रबंधन अधिनियम महामारी रोग अधिनियम, आईपीसी धारा 188 और अन्य कम गंभीर धाराओं के अंतर्गत दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाएगा. न्याय विभाग के प्रमुख सचिव प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की ओर से जारी आदेश के बाद अब कोविड प्रोटोकाल और लॉकडाउन उल्लंघन को लेकर दर्ज हुए मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

जारी शासनादेश में कहा गया है जनता पर कम गंभीर अपराध की धाराओं में दर्ज जिन मुकदमों में न्यायालय में आरोप-पत्र दाखिल किये गए हैं. वह वापस लिए जाएंगे. इसके अलावा वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों पर दर्ज मुकदमे चलते रहेंगे. जारी आदेश में कहा गया है कि गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा इस संबंध में मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया था. उसमें कोविड-19 प्रोटोकाल के उल्लंघन में दर्ज मुकदमों की समीक्षा करते हुए मुकदमे वापस करने की बात कही गई थी. जिसके बाद अब यह फैसला किया गया है.

शासनादेश जारी

बताया गया कि आपदा प्रबंध अधिनियम-2005, महामारी अधिनियम-1897 तथा भारतीय दंड संहिता की धारा-188, 269,270, 271 और इससे संबद्ध अन्य कम गंभीर अपराध की धाराओं से संबंधित पूरे प्रदेश में तीन लाख से अधिक अभियोग दर्ज किए गए हैं. शासन ने इन तीन लाख मुकदमों में से, जिनमें आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल हो गए हैं, उन्हें वापस लिए जाने की अनुमति दी है.

इसके अंतर्गत पूरे प्रदेश में दर्ज मुकदमों को वापस लेने के लिए लोक अभियोजक को न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है. प्रमुख सचिव न्याय ने प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को सीआरपीसी की धारा-321 के प्रावधानों पर अमल करते हुए आवश्यक कार्रवाई कराने का निर्देश दिए हैं.

केंद्र सरकार की सलाह पर वापस हुए मुकदमे

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बताया जा रहा है कि ये मुकदमे केंद्र सरकार की सलाह पर वापस हुए हैं. कानून मंत्री ने बताया कि कोविड-19 महामारी से पूरे देश में उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने आपदा प्रबंध अधिनियम-2005, महामारी अधिनियम-1897 और भारतीय दंड संहिता-1860 आदि के प्रावधानों को लागू किया था, इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों की वजह से स्थिति नियंत्रण में आई. मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने राज्यों को सलाह दी है कि कोविड-19 प्रोटोकाल के उल्लंघन की वजह से दर्ज आपराधिक मामलों की उपयुक्त समीक्षा कर मुकदमे वापस लेने पर विचार किया जाए. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी इस संबंध में आठ अक्तूबर को पारित आदेश में दिशानिर्देश जारी किए हैं.

आम लोगों पर दर्ज मामले वापस लिए जा रहे

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कानून मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि सभी जिलाधिकारियों से कहा गया है कि वह कोविड-19 प्रोटोकॉल और लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के मामलों को वापस लें. हालांकि वर्तमान और पूर्व सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि इसके बाद कोर्ट में दर्ज ऐसे मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. बता दें कि राज्य में यह पहला मौका है, जब इतनी बड़ी संख्या में आम लोगों पर दर्ज मामले वापस लिए जा रहे हैं.

Last Updated : Oct 27, 2021, 11:49 AM IST

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