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'भूजल संरक्षण के लिए सरकार को बनाने होंगे कड़े नियम'

प्रदेश में भूजल की चिंताजनक स्थिति को देखते हुए ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप की ओर से एक माह के भीतर प्रदेश सरकार को एक्शन प्लान का डॉक्यूमेंट प्रेषित किया जाएगा. जिससे कि आगामी 20 वर्षों में भूजल पर आधारित बढ़ती मांग और आपूर्ति की चुनौतियों का समाधान संभव हो सके. इसके लिए ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप ने कल के लिए भूजल बचाने व उसे सुरक्षित रखने की मुहिम शुरू की है.

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Published : Apr 18, 2022, 12:56 PM IST

लखनऊ: प्रदेश में भूजल की चिंताजनक स्थिति को देखते हुए ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप की ओर से एक माह के भीतर प्रदेश सरकार को एक्शन प्लान का डॉक्यूमेंट प्रेषित किया जाएगा. जिससे कि आगामी 20 वर्षों में भूजल पर आधारित बढ़ती मांग और आपूर्ति की चुनौतियों का समाधान संभव हो सके. इसके लिए ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप ने कल के लिए भूजल बचाने व उसे सुरक्षित रखने की मुहिम शुरू की है. दरअसल ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप, भूजल विशेषज्ञ, पर्यावरणविद्, सामाजिक प्रतिनिधियों का एक ऐसा विशेषज्ञ समूह है जो भूजल के क्षेत्र में थिंक टैंक के रूप में काम कर रहा है. ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप ने इस सिलसिले में आज एक मंथन सत्र आयोजित करके कई महत्वपूर्ण कार्य बिंदु तय किए हैं. बैठक में ग्रुप ने सुझाव दिया है कि लखनऊ शहर सहित पूरे प्रदेश में भूजल स्तर मापन के लिए स्थापित पीजों मीटर पर लगे डिजीटल वाटर लेवल रिकॉर्डर से प्राप्त दैनिक भूजल स्तर के आंकड़ों को डिस्प्ले बोर्ड के माध्यम से जनता को जागरूक करने के उद्देश्य प्रसारित किया जाए.

वहीं, देखा गया है कि लखनऊ शहर में सरकारी भवनों पर पूर्व में स्थापित रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणालियां कई जगह पूर्ण क्षमता से काम नहीं कर रही हैं. ग्रुप इन प्रणालियों का वैज्ञानिक अध्ययन करके इनको क्रियाशील किए जाने के उद्देश्य से एक माह के भीतर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी. जिससे वर्षा के पूर्व इनकों वैज्ञानिक मानकों के आधार पर क्रियाशील किया सके. बैठक में कहा गया कि इन रिचार्ज संरचनाओं से होने वाले भूजल रिचार्ज का आकलन करके उसके आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में हाइड्रोजियोलॉजिकल मानकों के अनुसार कम लागत के अधिक से अधिक रिचार्ज स्ट्रक्चर स्थापित किए जाएं और उनके नियमित देखरेख की व्यवस्था भी आवश्यक है.

प्रदेश में भूजल की चिंताजनक स्थिति

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ग्रुप के संयोजक आरएस सिन्हा ने बताया कि शहरों में स्टॉर्म वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए पेवमेंट्स हार्वेस्टिंग और रिचार्ज पिट्स को अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया. रिचार्ज बोरिंग का अधिक प्रयोग होने से प्रदूषित जल जान सीधे अलवर में जाने की संभावना बनी रहती है. बैठक में इस बात पर भी चिंता व्यक्त की गई कि वास्तविक भूजल दोहन आधिकारिक दोहन स्तर के मुकाबले डेढ़ गुना हो गया है. इस को नियंत्रित करने की आवश्यकता है. लखनऊ शहर में ही दोहन के सरकारी आंकड़ों के विपरीत 4 गुना दोहन विभिन्न स्तरों पर हो रहा है.

बैठक में डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के डॉ. वेंकटेश दत्ता, केंद्रीय भूजल परिषद के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक बीबी त्रिवेदी, लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. विभूति राय, वॉटर एड के रीजनल मैनेजर फारुख रहमान खान, जल निगम के पूर्व मैनेजर डॉ. आरए यादव, वरिष्ठ सलाहकार राधेश्याम दीक्षित, एनएसएस के डॉ. अंशुमाली शर्मा, ज्ञानेंद्र सिंह आदि विशेषज्ञों ने भूजल की सुरक्षा के लिए अपने विचार रखें.

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