लखनऊ: शराब माफियाओं पर नकेल कसने के लिए योगी सरकार ने तैयारी कर ली है. सीएम योगी की अध्यक्षता में सोमवार को लोक भवन में आयोजित कैबिनेट बैठक में आबकारी नीति 2019-20 में पांच संशोधन कर कड़े दंड के प्रावधान किए गए हैं. मिलावट खोरी और ओवर रेटिंग पर सरकार सख्त कार्रवाई करेगी. अब मिलावटी शराब बेचते पाए गए तो सीधे दुकान का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. साथ ही गैंगस्टर और रासुका के तहत कार्रवाई होगी.
कैबिनेट बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि आबकारी नीति में संशोधन किया गया है. इसमें शराब में मिश्रण और ओवर रेटिंग को खासतौर पर रखा गया है. यूपी आबकारी नीति-2019 में पांच संशोधन कर कड़े प्रावधान किए गए हैं. राज्य में किसी भी प्रकार से शराब माफियाओं की अब मनमानी नहीं चलने पाएगी.
मिलावटी शराब पर योगी का डंडा
शराब में जल मिश्रण वाक्य मिकल मिश्रण के मामले में पूर्व में पहली बार पकड़े जाने पर 40 हजार रुपये जुर्माना था. दूसरी बार पकड़े जाने पर 50 हजार का जुर्माना और तीसरी बार लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान था. अब मिश्रण करते जाने पर सीधे लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. सीआरपीसी की धारा 272, 273 और आईपीसी की धारा 304 के तहत अर्जित की गई धनराशि जप्त कर ली जाएगी. रासुका और गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. वहीं एनएसए की कार्रवाई पर तीन साल तक जमानत नहीं मिल सकेगी.
ओवर रेटिंग पर भी सख्त हुई सरकार
शराब माफिया अगर मदिरा की बोतलों पर निर्धारित एमआरपी से ऊपर बेचते पाए गए तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. अब तक एमआरपी से ऊपर मदिरा बेचने पर और पहली बार पकड़े जाने पर 10 हजार रुपये, दूसरी बार पकड़े जाने पर 20 हजार और तीसरी बार पकड़े जाने पर 30 हजार जुर्माना था. अब पहली बार पकड़े जाने पर सीधे 75 हजार रुपये का जुर्माना निर्धारित किया गया है. दूसरी बार पकड़े जाने पर डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा. तीसरी बार ओवर रेटिंग करते पकड़े गए तो सीधे लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. आबकारी के एक अन्य संशोधन में सरकार ने मोनो कास्ट को मंजूरी दी है. इसके तहत 4,000 रुपये से अधिक कीमत की मदिरा के कई ब्रांड की शराब होटलों में एक साथ बेची जा सकेगी. यह व्यवस्था देश के दूसरे राज्यों में एक हजार से महंगी शराब के मामले में भी लागू है.
नगर निगम और गाजियाबाद बेचेगा म्युनिसिपल बॉन्ड
लखनऊ नगर निगम और गाजियाबाद नगर निगम के म्युनिसिपल बॉन्ड निर्गत करने के लिए मंजूरी मिली है. लखनऊ नगर निगम 200 करोड़ और गाजियाबाद नगर निगम 150 करोड़ का बॉन्ड बेंचेगा. इस बांड से अर्जित होने वाली धनराशि अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए उपयोग में लाई जाएगी. लोगों की रुचि देखते हुए इसे और अन्य नगर निगमों में लागू किया जाएगा. अहमदाबाद समेत कई अन्य नगर निगम में बॉन्ड जारी कर चुके हैं. मार्केट से अच्छी योजना होगी. सेबी से अनुमति लेने के बाद ही इसे लागू किया जा सकेगा. नगर निगमों की क्रेडिट रेटिंग के बाद इसे अनुमति मिलेगी. योजना अंतिम पड़ाव पर है. एक महीने के अंदर मूर्त रूप दिया जाएगा. इसमें सरकार गारंटर नहीं होगी. नगर निगम की खुद की रेटिंग पर भरोसा करना होगा.