लखनऊः महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ रहे अपराध ने सरकार की नींद उड़ा दी है. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने महिलाओं और बच्चों के प्रति घृणित अपराध के लिए 218 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट खोलने का निर्णय लिया है. इसके लिए 218 नए अपर सत्र न्यायाधीश स्तर के पदों का सृजन किया गया है. उनके सहयोगी स्टाफ और वेतन आदि की कैबिनेट ने स्वीकृति प्रदान कर दी है. इससे पहले यूपी में जो महिला कोर्ट चल रहे थे, उसमें महिलाओं से जुड़े यौन हिंसा के साथ-साथ अन्य मामलों की भी सुनवाई होती थी. इससे कोर्ट पर भार अधिक था और दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों में शीघ्र निर्णय नहीं हो पाता था. इसलिए योगी सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के स्थापित करने का निर्णय लिया है.
लखनऊ: प्रदेश में 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट का होगा गठन, दुष्कर्म पीड़िताओं को मिलेगा न्याय
योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में प्रदेश भर में 218 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का निर्णय लिया है. इसमें केवल दुष्कर्म मामलों की सुनवाई की जाएगी. प्रदेश के कानून मंत्री ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी.
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मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि इन सभी न्यायालयों के लिए 218 पीठासीन अधिकारियों के पद भरे जाएंगे. कोर्ट संचालन के लिए 63 लाख रुपये प्रति कोर्ट हर साल खर्च आएगा. अगर किराए के भवन में कोर्ट संचालित होगा तो 3 लाख 90 हजार किराया प्रतिवर्ष दिया जाएगा. कोर्ट की डे-टू-डे संचालन पर 8 लाख 10 हजार रुपये सालाना खर्च निर्धारित किया गया है.
उत्तर प्रदेश में विभिन्न न्यायालयों में बच्चों के प्रति हुए अपराध के 42,379 मुकदमें लंबित हैं. वहीं महिलाओं के प्रति हुए अपराध में 25,749 दुष्कर्म के मामले दर्ज हैं. कोर्ट को संचालित करने में आने वाले खर्च में केंद्र और राज्य सरकार का क्रमशः 60: 40 के अनुपात में होगा. केंद्र सरकार 60 फीसद और 40 प्रतिशत राज्य सरकार खर्च करेगी. कानून मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि कैबिनेट में हुए फैसले के बारे में हाईकोर्ट को अवगत कराया जाएगा, ताकि जल्द से जल्द कोर्ट काम कर सकें.