लखनऊ : उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक में 18 प्रस्तावों को मंजूरी मिली है. कैबिनेट ने तीन नए जिलों में कमिश्नरेट बनाने को मंजूरी दी. अब आगरा, प्रयागराज और गाजियाबाद में कमिश्नरी सिस्टम लागू होगा. बता दें, 13 जनवरी 2020 को यूपी में सबसे पहले लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई थी. लखनऊ में सुजीत पांडे और नोएडा में आलोक सिंह को पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया था. 26 मार्च 2021 को दूसरे चरण में कानपुर और वाराणसी में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई थी. कानपुर में विजय सिंह मीणा और वाराणसी में ए सतीश गणेश को पुलिस कमिश्नर बनाया गया था. उत्तर प्रदेश में अब 7 महानगरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो चुकी है. उल्लेखनीय है कि विभिन्न सरकारी समितियों ने ऐसे शहरों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने की वकालत की है, जहां जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और वहां की कुल जनसंख्या 10 लाख से ज्यादा है.
कैबिनेट के फैसले, गाजियाबाद-प्रयागराज और आगरा में भी लागू होगी कमिश्नरी व्यवस्था
11:03 November 25
पुलिस कमिश्नरेट के अंतर्गत आएंगे संपूर्ण जनपद :नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने बताया कि संपूर्ण जनपद का मतलब है कि शहरी थानों के साथ-साथ कमिश्नरेट में ग्रामीण थाने भी सम्मिलित होंगे. इन तीनों महानगरों को सीआरपीसी के नियमों के अनुसार पहले मेट्रोपोलिटन एरिया के तौर पर घोषित किया जाएगा. फिर अन्य जनपदों की तरह संपूर्ण जनपद क्षेत्र में कमिश्नरेट प्रणाली लागू हो जाएगी. जनपद आगरा को जनसंख्या और क्षेत्रफल में वृद्धि, पर्यटन नगरी, औद्योगिक क्षेत्र और कानून व्यवस्था की दृष्टि से उपयुक्त पाया गया कि वहां कमिश्नरेट व्यवस्था लागू की जाए. इस जनपद की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 44 लाख 18 हजार 797 थी. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 46 लाख 61 हजार 452 है. वहीं प्रयागराज धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगरी है. 2025 में यहां महाकुंभ का आयोजन होना है. 2011 की जनगणना के अनुसार प्रयागराज की जनसंख्या 59 लाख 54 हजार से अधिक है.
कमिश्नरेट प्रणाली बदलने से बदलेगी व्यवस्था : कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद तीनों कमिश्नरेट में एडीजी रैंक के पुलिस अधिकारियों की तैनाती की जाएगी. आईजी रैंक के अधिकारी जॉइंट कमिश्नर बन पाएंगे. इससे जनपद की कानून व्यवस्था और विधि व्यवस्था की समीक्षा का कार्य तेजी से हो सकेगा. कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए जिलों को कई जोन में बांटा जाएगा. कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद पुलिसिंग के रैंक में भी बदलाव हो जाएगा. थानों को लेकर सीओ की तैनाती के स्थान पर एसीपी की तैनाती की जाएगी. उनके अधिकार अधिक होंगे. वहीं कमिश्नरेट में तैनात होने वाले पुलिस कमिश्नर के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि हो जाएगी. कमिश्नरेट क्षेत्र में अब पुलिस कमिश्नर के पास मजिस्ट्रेट की शक्तियां भी होंगी. लॉ एंड ऑर्डर संबंधी अधिकार अब कमिश्नर के पास होंगे.
23 शहरों में हवाई अड्डे की तर्ज पर बनाए जाएंगे बस अड्डे | हर जिले में होगा स्क्रैप सेंटर |
मंत्रिपरिषद की बैठक में परिवहन विभाग से जुड़े तीन अहम प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई. इसके तहत पीपीपी मॉडल पर प्रदेश के 23 बड़े शहरों में हवाई अड्डों की तर्ज पर बस अड्डों का निर्माण किया जाएगा. पहले चरण में लखनऊ के 2 बस अड्डे, आगरा के 2, प्रयागराज के 2, वाराणसी के 1, गोरखपुर और कानपुर के 1 बस अड्डे शामिल हैं. इन बस अड्डों में यात्रियों के रुकने की व्यवस्था, रेस्टोरेंट, मॉल, शौंचालय, कॉमन रूम जैसी आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी. पहले चरण के बाद प्रदेश के सभी 75 जनपदों में बस अड्डों को इसी तर्ज पर संवारा जाएगा. | इसके अलावा, परिवहन विभाग की स्क्रैप पॉलिसी को भी मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिल गई. इसके अंतर्गत अब सिर्फ लाइसेंसधारी संस्थाएं ही गाड़ियों के स्क्रैप का इस्तेमाल कर सकेंगी. इसके तहत पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप में देने वालों को प्रोत्साहित भी किया जाएगा. कॉमर्शियल वाहनों को स्क्रैप में देने पर 15 प्रतिशत टैक्स में छूट मिलेगी, जबकि प्राइवेट गाड़ियों को 10 प्रतिशत की छूट मिलेगी. इससे पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा. अब तक महिंद्रा और मारूति समेत 6 कंपनियों को लाइसेंस जारी किया गया है. 5 अन्य कंपनियों पर भी विचार हो रहा है। हर जिले में स्क्रैप सेंटर बनाने की योजना है. |
बनारस से बलिया तक 15 जेटी का निर्माण :प्रदेश में जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। इसके तहत बनारस से बलिया तक 15 जेटी का निर्माण किया जाएगा। इससे न सिर्फ लोग सस्ते में यात्रा कर पाएंगे, बल्कि किसान अपने उत्पादों को भी अलग-अलग शहरों में भेज सकेंगे। चंदौली जनपद में एक जेटी बन रही है, जहां रेलवे, एयरपोर्ट और बस-ट्रांसपोर्ट समेत तीनों माल परिवहन की सुविधा मिलेगी।
उत्तर प्रदेश कैबिनेट में इन प्रस्तावों को मिली मंजूरी |
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