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लखनऊ: योगी कैबिनेट में मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ भूमि देने का हुआ फैसला - राम मंदिर अयोध्या

सीएम योगी की अध्यक्षता में लोकभवन में कैबिनेट बैठक हुई. इसमें अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ भूमि दिए जाने के साथ ही 18 प्रस्तावों को मंजूरी मिली है.

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लोकभवन में कैबिनेट बैठक का आयोजन.

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Published : Feb 5, 2020, 7:18 PM IST

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को लोकभवन में कैबिनेट बैठक आयोजित हुई. इसमें अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ भूमि देने के साथ ही 18 प्रस्तावों को मंजूरी मिली है. श्रीराम जन्मभूमि, बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर के आदेशों में 5 एकड़ भूमि आवंटित किए जाने के संबंध में फैसला लिया गया था. पांच एकड़ जमीन तीन माह के अंदर निर्धारित की जानी थी. इसी क्रम में आज योगी कैबिनेट ने फैसला लिया है. यह भूमि अयोध्या के ग्राम धन्नीपुर, तहसील सोहावल के थाना रौनाही क्षेत्र में अयोध्या मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर लखनऊ हाईवे पर स्थित है.

जानकारी देते संवाददाता.

तीन महीने में जमीन देने के दिए थे निर्देश

योगी सरकार के मंत्री और प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ऑफ उत्तर प्रदेश को पांच एकड़ भूमि का आवंटन किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है. संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उच्चतम न्यायालय ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन तीन माह के अंदर आवंटित करने के निर्देश दिए थे. इसी संबंध में प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को तीन विकल्प भेजे थे, उनमें से एक विकल्प को केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है.

लखनऊ राजमार्ग पर स्थित है भूमि

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को ग्राम धन्नीपुर, तहसील सोहावल में लखनऊ राजमार्ग पर थाना रौनाही के पीछे लगभग 200 मीटर दूर स्थित भूमि का आवंटन किया गया है. यह जिला मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित है. अयोध्या में यह हर प्रकार से उपयुक्त स्थान है. आवागमन हेतु सड़क मार्ग, जन सुविधाओं के साथ-साथ सांप्रदायिक सौहार्द एवं कानून व्यवस्था की दृष्टि से इसे उचित स्थान माना गया है.

नगर निगम क्षेत्र से बाहर है भूमि

सरकार ने इस बात का भी ध्यान रखा है कि भविष्य में फिर से कानून व्यवस्था के लिए कोई चुनौती न खड़ी हो, इसलिए पांच कोसी परिक्रमा और 14 कोसी परिक्रमा मार्ग से मस्जिद की भूमि नहीं टकरा रही है. संतों की मांग भी थी कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाने वाली भूमि इससे बाहर होनी चाहिए. परिक्रमा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं. दोनों पक्षों में आपसी सौहार्द बना रहे इसलिये ऐसी जगह भूमि का आवंटन किया गया है. यह भूमि अयोध्या नगर निगम क्षेत्र से भी बाहर है.

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