योगासन से आसान कर रहे अपनी और दूसरों की जिंदगी. देखें खबर लखनऊ : इस साल 7वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जा रहा है. इस बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का थीम 'वासुदेव कुटुंबकम के लिए योग' रखा गया है. ईटीवी भारत ने कुछ ऐसे ही लोगों से आपको रूबरू कराने जा रहा है जिनकी सुबह योग के बिना होती ही नहीं. यह लोग न सिर्फ आसन से अपनी जिंदगी आसान बना रहे हैं बल्कि दूसरों को भी योग के लिए प्रेरित कर रहे हैं और योग के महत्व को समझा रहे हैं.
योगासन से आसान कर रहे अपनी और दूसरों की जिंदगी. योगासन से आसान कर रहे अपनी और दूसरों की जिंदगी. योगा ट्रेनर रचना वर्मा ने बताया कि वर्ष 2003 से लोगों को योगासन सिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि न सिर्फ आपको स्वस्थ रखता है, बल्कि योग करने से मानसिक सुकून और मानसिक शांति मिलती है. उन्होंने कहा कि योगा, प्रणायाम व मेडिटेशन के जरिए लोगों को फिट रखते हैं. इससे वह मेंटली और स्प्रिचुअली भी फिट रहते हैं. इन सभी योगासन के जरिए लोगों की जिंदगी आसान हो रही है. महिलाओं में होने वाली बीमारी पीसीओडी को दूर करने के लिए भुजंगासन, मारीचासन, बालासन और बद्धकोणासन है. जिससे पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं को दर्द से राहत मिलती है.
योगासन से आसान कर रहे अपनी और दूसरों की जिंदगी. योगा ट्रेनर प्रीति ने बताया कि बीते पांच साल से योगा भवन में योग करने आ रही महिलाओं को योगा सीखा रही हैं. योगा भवन में रोजाना 100 लोग से अधिक लोग योग के लिए आते हैं और यहां आकर योग के महत्व को समझते हैं. बहुत सारे लोगों को कोविड के बाद योग के महत्व के बारे में समझ आया. योगा भवन में ज्यादातर महिलाएं ऐसी आती है जो किसी न किसी बीमारी से पीड़ित है और कुछ युवा लड़कियां आती हैं जो अपने आप को फिट रखने के लिए योग करती हैं. ऐसे भी ऐसी महिलाएं जो किसी बीमारी से पीड़ित है. जिसमें सर्वाइकल, पीसीओडी और पीसीओएस शामिल है और इन महिलाओं को महीना दो महीना योग करने के बाद दर्द से राहत भी मिलता है.
प्रीति ने बताया कि जब महिलाएं यहां आती हैं तो उनसे पूछा जाता है कि नाश्ते में क्या खाती है और खाने में किस प्रकार की फूड खाती है. सभी चीज का ब्यौरा यहां पर लिया जाता है. फिर उसके बाद डाइट चार्ट तैयार करके सभी को दिया जाता है. जिसमें फाइबर प्रोटीन युक्त भोजन हो. ऐसा नहीं है कि बहुत बड़ा काम है. यह बस केवल जो रोज आप खाते हैं उसी को मेंटेन करना होता है. योग करने से महिलाओं की तबीयत भी ठीक रहती है और वह फिट रहती है. इसके बाद वह खुद योग करने के साथ दूसरों को भी प्रेरित करती हैं.
योगा ट्रेनर निशांत कमल ने बताया कि पिछले तीन साल से लोगों को योगा सीखा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके लिए धन्यवाद कहेंगे कि मौजूदा समय में योग इतने प्रचलन में है. उन्होंने योग को विश्व स्तर पर बनाने की दिशा में कार्य किया है. योग आत्मा से परमात्मा के मिलन के लिए सबसे अच्छा तरीका है. योग के प्रति लोग पहले से जागरूक हुए हैं और जो लोग जागरूक नहीं है, वह भी धीरे-धीरे अब योग के महत्व को समझ रहे हैं. योग करने से व्यक्ति निरोग होता है इससे कई बीमारियों से आराम मिलता है. निशांत ने बताया कि न्यूरो की समस्या के लिए जिसमें व्यक्ति को सर्वाइकल की दिक्कत हो जाती है दवा के माध्यम से कुछ समय के लिए बीमारी से निजात अवश्य मिलती है, लेकिन यह कोई परमानेंट उपाय नहीं है. अगर कोई व्यक्ति योग के माध्यम से सर्वाइकल की समस्या को दूर करने की कोशिश कर रहा है तो एक से दो महीने में सर्वाइकल की समस्या पूर्ण रूप से सही कर सकते है. 10 से 15 दिन में सर्वाइकल के दर्द से राहत मिलना शुरू हो जाती है और लगभग देढ़ से दो महीने में सर्वाइकल पूर्ण रूप से ठीक हो जाता है. डायबिटीज की समस्या को दूर करने के लिए मारीचासन सबसे बेहतर उपाय है. एक से दो महीने में डायबिटीज की समस्या से भी निजात मिलती है.
योगासन से आसान कर रहे अपनी और दूसरों की जिंदगी.
योगा भवन के योगा गुरु सोमिल मिश्रा ने कहा कि योग एक ऐसी विद्या है. जिसमें शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर काम करते हैं. अगर हम देखते हैं कि योग का जो पहला सिद्धांत है जो महर्षि पतंजलि ने पांच हजार साल पहले बताया था. जिसमें यह बताया गया था कि अनुशासन सबसे पहला सिद्धांत है. योगा ट्रेनर बनने के लिए अनुशासन की आवश्यकता सबसे मुख्य है. जब ट्रेनर के अंदर करुणा और सद्भावना होनी चाहिए है. योगा ट्रेनर देखते हैं कि जो व्यक्ति योग के लिए आ रहा है उसे क्या समस्या है? किसी को डायबिटीज कम करना है, किसी को वजन कम करना है, उसकी दिक्कत को दूर करने के लिए सोचेगा और व्यक्ति को लाभ हो इस बारे में विचार करेगा. अगर ट्रेनर सिर्फ पैसे के बारे में सोचेगा तो फिर योग सही कॅरियर उसके लिए नहीं है. योगा ट्रेनर के लिएआवश्यक है कि वह दूसरों के अंदर का दर्द मिटाने की भावना रखे.
सोमिल मिश्रा ने बताया कि आजकल बहुत से योगा ट्रेनर्स को देखते हैं जो कि खुद अभ्यास नहीं करते हैं और दूसरों को बताते हैं. चाहे सुबह-शाम बाहर ताजी हवा लेनी हो या फिर योगा करना हो. इसलिए जो-जो चीज हम दूसरों को समझा रहे हैं, बता रहे हैं, वह खुद भी करना जरूरी है. तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हमें पूरी जानकारी हो. इस व्यक्ति को हम योग सिखा रहे हैं उसकी उम्र, क्षमता व बीमारियों के हिसाब से उचित ढंग से करा पाए. जिससे व्यक्ति का नुकसान न हो. योग सिखाने का सबसे बेसिक सिद्धांत है कि योग से अगर किसी को लाभ दे पाए या नहीं, लेकिन हानि नहीं होनी चाहिए. क्योंकि अगर हम एक व्यक्ति को भी नुकसान पहुंचा देते हैं तो योगा से उसका विश्वास उठ जाता है. इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन आम जनता को यही संदेश है कि आप योग ट्रेनर बनने के साथ 'एक योग्य-योग ट्रेनर बनिए' जिससे आप जीवन में आगे बढ़ सकते हैं और दूसरों का भी कल्याण कर सकते हैं.
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