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यूपी में तैयार हो रहा सियासत का नया मोर्चा, भतीजे को पटखनी देने की तैयारी में जुटे शिवपाल चाचा

अखिलेश यादव से खिन्न प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने भतीजे अखिलेश से बदला लेने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए शिवपाल सिंह यादव ने पूर्व सांसद व बाहुबली नेता डीपी यादव के साथ मिलकर सम्मेलन कर रहे हैं. इसमें 2024 के चुनाव में यादव नेताओं को साथ लाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं.

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Published : Sep 1, 2022, 12:38 PM IST

लखनऊ: लोकसभा चुनाव भले ही 2024 में हों, लेकिन सियासी सरगर्मियां अभी से तेज होने लगी हैं. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बदला लेने के लिए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव अभी से तैयारी में जुट गए हैं. इसके लिए तमाम पुराने नेताओं खासकर यादव नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश करने लगे हैं. यदुकुल पुनर्जागरण मिशन का गठन कर शिवपाल यादव पुराने यादव नेताओं को एक मंच पर ला रहे हैं और इसमें उनका साथ पूर्व सांसद बाहुबली डीपी यादव दे रहे हैं. गुरुवार को पार्टी मुख्यालय पर इस मिशन के पहले सम्मेलन की शुरुआत हो गई है, जिसमें आमंत्रित उत्तर प्रदेश के 250 यादव नेता शामिल हो रहे हैं. इनमें बालेश्वर यादव, सुखराम यादव और मुलायम सिंह के समधी हरिओम यादव जैसे दिग्गज शामिल हैं.

समाजवादी पार्टी से अलग होकर शिवपाल सिंह यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया बनाई थी. डीपी यादव ने पहले ही राष्ट्रीय परिवर्तन दल का गठन किया था. साल 2012 में डीपी यादव ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन का प्रयास भी किया, लेकिन अखिलेश ने साफ तौर पर कह दिया कि गुंडे माफियाओं को पार्टी में जगह नहीं दी जाएगी और इससे डीपी का सपना टूट गया. 2022 के विधानसभा चुनाव में शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे और विधायक बन गए, लेकिन भतीजे अखिलेश यादव से उनकी अनबन अभी भी बरकरार है. ऐसे में जितने भी यादव नेता हैं, उन्हें एक मंच पर लाने के लिए शिवपाल सिंह यादव ने यदुकुल पुनर्जागरण मिशन की स्थापना कर कोशिश शुरू कर दी है. जहां इसके संरक्षक शिवपाल यादव हैं तो अध्यक्ष डीपी यादव हैं.

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उत्तर प्रदेश में यादव समाज के वोटर्स की बात करें तो तकरीबन 12 फीसदी आबादी यादवों की मानी जाती है और यह किसी भी चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं. शिवपाल सिंह यादव का यह दांव 2024 में अखिलेश यादव पर भारी भी पड़ सकता है ऐसा राजनीति के जानकार मानने लगे हैं. फिलहाल, देखना होगा कि एक मंच पर बड़े यादव नेताओं को साथ लाकर शिवपाल सिंह यादव अखिलेश को झटका दे पाते हैं या नहीं.

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