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11 साल पहले होमगार्ड के मास्टर रोल में लाखों का गबन, 21 पर केस - होमगार्डों के मास्टर रोल में फर्जीवाड़ा

होमगार्डों के मास्टर रोल में लाखों रुपये के गबन का मामला सामने आया है. यह गबन 11 साल पहले किया गया था. एंटी करप्शन टीम की जांच में गबन की सत्यता प्रमाणित हुई, जिसके बाद 21 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है.

एंटी करप्शन टीम ने किया खुलासा 21 पर केस
एंटी करप्शन टीम ने किया खुलासा 21 पर केस

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Published : Apr 18, 2021, 10:56 AM IST

लखनऊ: होम गार्डों के मास्टर रोल में फर्जीवाड़ा कर लाखों रुपये का गबन किया गया है. इस बात का खुलासा एंटी करप्शन की टीम ने शनिवार को किया. यह फर्जीवाड़ा 11 साल पहले किया गया था. 11 साल पहले बाराबंकी जिला होमगार्ड कार्यालय से कुछ होमगार्डों को लखनऊ के हुसैनगंज थाने से सम्बद्ध किया गया था. इन होमगार्डों के मास्टर रोल से छेड़छाड़ कर फर्जी बिल बाउचर बनाए गए और करीब साढ़े पांच लाख रुपये सरकारी खाते से साफ कर दिया गया.

11 साल पहले हुआ था फर्जीवाड़ा

एंटी करप्शन के निरीक्षक अनुराधा सिंह की तहरीर पर हुसैनगंज थाने में जिला कमांडेंट सहित 21 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, बाराबंकी जिला होमगार्ड कार्यालय से कुछ होमगार्डों को जब हुसैनगंज थाने में तैनाती दी गई तो इस दौरान बिल बाउचर बनाए गए. जनवरी 2010 से दिसंबर 2010 के बीच होमगार्ड स्वयं सेवकों के मास्टर रोल बनाकर 11,27,135 रुपये सरकारी खाते से निकाले गए, जबकि हुसैनगंज थाने के दस्तावेजों में यह रकम लगभग आधी यानी 5,78,982 रुपये ही दर्ज मिली.

इसकी शिकायत के बाद एंटी करप्शन से जांच कराई गई. एडीजी एंटी करप्शन के निर्देश पर मामले की जांच एक विशेष टीम द्वारा की गई. निरीक्षक अनुराधा सिंह ने अपनी रिपोर्ट एडीजी को भेज दी. जिसमें 5,48,154 रुपये का फर्जी तरीके से भुगतान कराये जाने का मामला सही पाया गया.

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तैयार किए गए थे फर्जी कार्य दिवस

जांच में सामने आया कि जिला कमांडेंट सहित 21 कर्मचारियों ने मिलकर यह फर्जीवाड़ा किया. इसमें 191 फर्जी मानव कार्य दिवस तैयार किए गए थे, जिसके बदले में रकम का भुगतान किया गया था. यह फर्जी कार्य दिवस जांच अवधि के दौरान बाराबंकी और लखनऊ में तैनात होमगार्ड को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए किया गया था.

ये लोग पाए गए घपले के दोषी

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, तत्कालीन जिला कमांडेंट सुभाष राम, कनिष्ठ सहायक प्रदीप निगम, प्रशिक्षक लाल बहादुर, कंपनी कमांडर राजेंद्र प्रसाद शुक्ला, शिव कुमार, सुभाष चंद्र, राजेश कुमार, राजेश कुमार श्रीवास्तव, राजकुमार, चंद्र लता, विजेंद्र विक्रम सिंह, अवधेश नारायण मिश्रा, अनिल कुमार पांडे, अमर सिंह, भगवती प्रसाद, सरन, रामचंद्र गिरीश चंद्र, भोला सिंह, शिव कुमार और राम सेवक समेत 21 को दोषी पाया गया. एंटी करप्शन की निरीक्षक ने इन सभी के खिलाफ सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़, कूट रचना, साजिश रचने और सरकारी धन के गबन का मुकदमा दर्ज कराया है.

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