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सावन का पहला सोमवार: विधि-विधान से करें भगवान शिव की पूजा, पूरी होगी मनोकामना - sawan ka somwar

सावन का महीना (month of sawan) 25 जुलाई यानी से शुरु हो चुका है. आज सावन माह का पहला सोमवार है. इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा और अराधना करने से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है.

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Published : Jul 26, 2021, 5:07 AM IST

Updated : Jul 26, 2021, 6:12 AM IST

लखनऊ:भगवान शिव का माह कहा जाने वाला सावन महीना पंचांग के अनुसार 25 जुलाई, रविवार से आरंभ हो गया है. हिंदू धर्म में सावन या श्रावण मास की विशेष महिमा है. 26 जुलाई यानी आज सावन का पहला सोमवार है. सावन के सोमवार को विशेष महत्व है. इस दिन शिवभक्त व्रत रखकर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा, रूद्राभिषेक आदि का अनुष्ठान करते हैं.

शिवजी को सोमवार बेहद पसंद

वैसे तो पूरा सावन माह ही बहुत पवित्र माना जाता है, लेकिन सावन माह के सोमवार का विशेष महात्म्य है. कहा जाता है कि सावन के सोमवार भगवान शिव को बेहद पसंद हैं. इस बार सावन में 4 सोमवार व्रत पड़ रहे हैं. 26 जुलाई यानी आज पहला सोमवार पड़ रहा है. इस दिन भगवान भोलेनाथ की विधि पूर्वक विशेष पूजा करने का विधान बताया गया है.

सोमवार को हैं शुभाशुभ योग

ज्योतिष के अनुसार 26 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है और इस दिन सौभाग्य योग बन रहा है. 2 अगस्त को दूसरा सोमवार है और इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. 9 अगस्त को सावन का तीसरा सोमवार है और इस दिन वरीयान योग बन रहा है. 16 अगस्त को सावन का चौथा व अंतिम सोमवार है और इस दिन सर्वार्थ सिद्धि व ब्रह्म योग बन रहा है, जो कि शुभाशुभ फल देने वाला है.

ऐसे करें सोमवार पर भगवान शिव की पूजा

सावन के पहले सोमवार में फूल, फल, मेवा, दक्षिणा, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि से भगवान शिव की पूजा की जाती है. शिव भक्त इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की उपासना करते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए और अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

सावन से चातुर्मास का प्रारंभ

श्रावण माह से व्रत और साधना के चार माह अर्थात चातुर्मास प्रारंभ होते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती ने अपने दूसरे जन्म में शिव को प्राप्त करने हेतु युवावस्था में श्रावण महीने में कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न किया. इसलिए यह माह शिव जी को साधना, व्रत करके प्रसन्न करने का माना जाता है. श्रावण शब्द श्रवण से बना है जिसका अर्थ है सुनना. अर्थात सुनकर धर्म को समझना.

Last Updated : Jul 26, 2021, 6:12 AM IST

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