उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

विश्व जल दिवस पर ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप ने सरकार को सुझाए संकट टालने के उपाय - जल संकट से उबरने के उपाय

उत्तर प्रदेश में भूगर्भ जल के समग्र प्रबंधन और दूरगामी संकट को देखते हुए ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप के वैज्ञानिकों ने जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव को उपाय सुझाए हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि भूजल सुरक्षित राज्य बनाने के लिए अंधाधुंध भूजल दोहन पर चरणबद्ध और प्रभावी ढंग से रोक लगानी होगी.

विश्व जल दिवस पर ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप ने सरकार को सुझाए संकट टालने के उपाय .
विश्व जल दिवस पर ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप ने सरकार को सुझाए संकट टालने के उपाय .

By

Published : Mar 22, 2023, 10:21 PM IST

लखनऊ : प्रदेश में भूगर्भ जल का दोहन लगातार बढ़ता जा रहा है. सिंचाई से लेकर घरों में पीने के पानी की सप्लाई तक ज्यादातर भूगर्भ जल का ही उपयोग किया जाता है. हाल ही में गांवों में भी घर-घर जल पहुंचाने की सरकार की योजना के तहत अब गांव-गांव पानी की टंकियां लगाई जा रही हैं और घरों तक पेयजल पहुंचाने के लिए भूगर्भ जल का ही दोहन किया जा रहा है. इस कार्य में पानी की बेहद बर्बादी भी हो रही है, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है. प्रदेश में भूगर्भ जल के समग्र प्रबंधन और दूरगामी संकट को देखते हुए जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव को ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप के वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं.

विश्व जल दिवस पर ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप ने सरकार को सुझाए संकट टालने के उपाय .
ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप के संयोजक भूगर्भ जल विज्ञानी डाॅ. आरएस सिन्हा कहते हैं कि प्रदेश में कार्य किया जाए, तो भूजल संकट की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है, लेकिन इसके लिए अभी से चेतकर काम करने की जरूरत है. सुझावों में बताया गया है कि प्रदेश को 'भूजल सुरक्षित राज्य बनाने के लिए उथले एक्यूफर्स से हो रहे अंधाधुंध भूजल दोहन पर चरणबद्ध और प्रभावी ढंग से रोक लगाई जानी चाहिए. इसके लिए अतिशीघ्र एक्यूफर आधारित पृथक निष्कर्षण नीति लाई जाए और इस नीति के माध्यम से वर्तमान व भावी मांग की पूर्ति के लिए भूजल दोहन की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए गहरे एक्यूफर्स की क्षमता का वैज्ञानिक अध्ययन करके भूजल आपूर्ति की सतत व समुचित संभावना पता की जाए.
विश्व जल दिवस पर ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप ने सरकार को सुझाए संकट टालने के उपाय .
भूजल रिचार्ज, रीयूज, रीसाइकिल व जल कुशल विधाओं की पृथक रूप से लागू योजनाओं की वर्तमान व्यवस्था के बजाय इन कार्यों के एकीकृत ढंग से क्रियानवयन के लिए 'संकटग्रस्त एक्यूफर्स की पुनर्स्थापना' की पद्धति प्राथमिकता पर अपनाए जाने के लिए प्रदेश स्तर पर नीतिगत निर्णय लेकर लागू किया जाए. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वर्ष 1990 में विद्यमान भूजल स्थिति या भूजल स्तर को बेंचमार्क माना जाए. छोटी व बड़ी नदियों के दोनों तटों पर एक किलोमीटर के दायरे में भूजल दोहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए. नदियों के फ्लड प्लेन की मैपिंग करके सरंक्षित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया जाए. केंद्रीय भूजल बोर्ड के आकलन में भूजल दोहन कम बताया गया है. इसलिए वास्तविक स्थिति ज्ञात करने के लिए कृषि व औद्यानिक क्षेत्र में फसल जल उपयोग के आधार पर दोहन की गणना तथा पेयजल, औद्योगिक, व्यवसायिक, अवस्थापना, खनन, मत्स्य क्षेत्रों में दोहन का वास्तविक क्षेत्रीय आकलन किया जाए.
विश्व जल दिवस पर ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप ने सरकार को सुझाए संकट टालने के उपाय .
ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप के सुझावों में कहा गया है कि भू जल संसाधन आकलन समिति-2015 की मेथाडोलॉजी की पुनर्समीक्षा क्षेत्रीय हाईड्रोजियोलॉजिकल परिस्थितियों एवं भूजल के विविध उपयोगों के आधार पर की जाए. मेथडोलाजी में उत्पाद के ग्राउंड वाटर फुटप्रिंट के आकलन को सम्मिलित किया जाए. प्रत्येक जिले के लिए क्षेत्र विशेष के लैंड यूज, जलवायु और जल संसाधन की उपलब्धता, फसलवार सिंचाई की आवश्यकता तथा कृषक भागीदारी के आधार पर टिकाऊ सिंचाई योजनाएं बनाई जाएं. यही नहीं प्रदेश में स्थित 13 औद्योगिक समूहों के लिए समय जल प्रबंधन योजना बनाई जाए. इस के लिए जिलेवार उद्योगों, अवस्थापना कार्यों, व्यावसायिक गतिविधियों की भूजल मांग एवं आपूर्ति की स्टेटस रिपोर्ट जारी की जाए.सुझावों के अनुसार शहरी क्षेत्रों में भूजल की गंभीर होती समस्या के दृष्टिगत शहरवार भूजल पर निर्भरता कम करके शहरी भूजल प्रबंधन की समय योजना तैयार कर लागू की जाए. वृहद नीतिगत निर्णय पर आधारित दूरगामी भूजल प्रबंधन के लिए लखनऊ शहर को एक पायलट के रूप में चयनित किया जाए. प्रदेश में सतही जल संसाधन लगभग 110 बीसीएम है, जबकि उपयोग के योग्य भूजल संसाधन लगभग 65 बीसीएम है. भविष्य में भूजल पर निर्भरता में प्रभावी कमी लाकर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध सतही जल के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए. प्रदेश में भूजल गुणवत्ता की प्रथक आकलन व्यवस्था को एकीकृत कर भूजल गुणवत्ता की समेकित व समग्र मैपिंग एवं गुणवत्ता आकलन किया जाए. भूगर्भ जल एक्ट 2019 के प्रावधानानुसार 'भूजल गुणवत्ता संवेदी क्षेत्रों' का सीमांकन कर अधिसूचित किया जाए.ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप ने सुझाया है कि उत्तर प्रदेश की समग्र भूगर्भ जल प्रबंधन नीति 2013 एवं शहरों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग नीति 2003 की पुनर्समीक्षा कर भूजल के वर्तमान परिपेक्षपरिदृश्य के आधार पर इन नीतियों के प्रावधानों का विस्तार करके लागू किया जाए. भूगर्भ जल को उपयोग योग्य वस्तु समझा गया है और इसके शोध और अध्ययन पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जा सका. प्रदेश की विविध हाइड्रोजियोलॉजिकल परिस्थितियों के दृष्टिगत एवं भविष्य की बढ़ती जल मांग की चुनौतियां के समाधान के लिए भूजल से जुड़े विज्ञान को गहराई से जानने के लिए आईआईटी और केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के माध्यम से शोध व अध्ययन प्राथमिकता पर किया जाए.भूगर्भ जल रेगुलेशन -2019 के वर्तमान प्रावधानों को विस्तारित करते हुए एक्यूफर- वार भूजल उपलब्धता पर आधारित विनियमन की व्यवस्था लागू करने का सुझाव भी ग्राउंड वाटर एक्शन ग्रुप ने दिया है. वायु प्रदूषण गुणवत्ता की स्वचालित डिजिटल व्यवस्था के समान भूजल से जुड़े आंकड़ों को सरल रूप में पब्लिक डोमेन में डिस्प्ले किया जाए. समुदाय को भूजल स्तर मॉनिटरिंग से लेकर आकलन की व्यवस्था में ग्राम पंचायत स्तर पर संगठित कर प्रारंभ से जोड़ा जाए. ग्राम पंचायत स्तर पर देश के अन्य क्षेत्रों में प्रचलित 'भूजल जानकार' की व्यवस्था की तर्ज पर 'भूजल प्रहरी' तैयार किए जाएं. विभिन्न विभागों में उपलब्ध भूगर्भ जल से जुड़े विशाल आंकड़े और सूचनाओं को एकत्र कर संकलित एवं विश्लेषित किया जाए, जिससे प्रदेश में भूजल का एक समग्र डाटा बैंक और सूचना तंत्र विकसित कर इस संसाधन की वास्तविक स्थिति को अधिक पारदर्शी बनाया जा सके. डॉ आरएस सिन्हा का कहना है कि यदि सरकार इन सुझावों की ओर ध्यान देकर उन्हें लागू कर दे, तो भावी पीढ़ी को मुसीबत से बचाया जा सकता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details