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विश्व गौरैया दिवसः आंगन में रखें दाना-पानी और न काटें पेड़

गौरैया एक नन्ही और मासमू सी चिड़िया है जो पहले हमारे आंगनो में फुदका करती थी. दाना खाती रहती थी. सभी इसे और इसकी पूरी टोली को कौतूहल से देखा करते थे. वर्तमान में ये विलुप्ति की कगार पर हैं. गौरैया के प्राकृतिक घर खत्म होते जा रहे हैं. इन्हें दाना पानी मिलना लगातार मुश्किल होता जा रहा है.

विश्व गौरैया दिवस.
विश्व गौरैया दिवस.

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Published : Mar 21, 2021, 3:27 AM IST

लखनऊः नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में विश्व गौरैया दिवस के मौके पर गौरैया को बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया. वन्यजीव विज्ञान संस्थान, जन्तु विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय और लखनऊ एवं उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा जागरूकता अभियान चलाया गया. प्रो. अमिता कनौजिया ने बताया कि लोगों को जागरूक करने के साथ ही घोंसले, काकून, गमले, टीशर्ट और पौध भी वितरित किए गए. इसके अलावा हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया, जिसमें लोगों ने गौरैया के बारे में लिखा.

दाना चुगती गौरैया की फाइल फोटो.

प्रो. अमिता ने बताया कि कई बार बच्चे इन्हें पकड़कर इनके पैर में धागा बांधकर इन्हें छोड़ देते हैं. इससे कई बार किसी पेड़ की टहनी या शाखाओं में अटक कर इस पक्षी की जान चली जाती है. इतना ही नहीं कई बार बच्चे गौरैया को पकड़कर इसके पंखों को रंग देते हैं. जिससे उनके उड़ने में दिक्कत आती है.

विश्व गौरैया दिवस.

वहीं ग्लोबल ग्रीन फाउंडेशन के वालंटियर्स ने कुड़िया घाट लखनऊ पर एक गौरैया संरक्षण पर जागरूकता कैंपेन चलाया. इस कैंप में लोगों को गौरया संरक्षण के बारे में जानकारी देने के साथ ही साथ चिड़ियों को खिलाने के लिए काकून और पानी के लिए मिट्टी के प्लेट्स निःशुल्क बांटी गई. इन प्लेट्स पर पानी पीते हुए और दाना खाते हुए गौरैया या अन्य चिड़ियाओं की फोटोग्राफ ग्लोबल ग्रीन फाउंडेशन को भेजने पर संस्था द्वारा उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान किया गया.

लोगों को जागरूक करने के लिए लगाया स्टॉल.

गौरैया की लगातार घटती संख्या ये बताया गया कारण

1. भोजन और जल की कमी
2. घोंसलों के लिए उचित स्थानों की कमी
3. तेजी से काटे जा रहे पेड़-पौधे
4. बगीचे और खेतों में रासायनिक खादों का प्रयोग
5. मोबाइल फोन तथा मोबाइल टावरों से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगे

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