लखनऊ:पूरे विश्व में 20 जून को 'विश्व शरणार्थी दिवस' मनाया जा रहा है. विश्व के लगभग हर देश में दूसरे देशों से शरणार्थियों ने शरण ले रखी है. इन शर्णार्थियों को 'रिफ्यूजी' भी कहा जाता है. ऐसे लोगों के साहस, शक्ति और संकल्प के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है.
इस दिन शरणार्थियों की मदद की जाती है. साथ ही उनकी स्थिति के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है. इसके साथ ही इस दिन को मनाए जाने का एक अन्य उद्देश्य शरणार्थियों की दुर्दशा की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना और उनकी समस्याओं का हल करना है.
20 जून को मनाया जाता है विश्व शरणार्थी दिवस. कौन होते हैं 'रिफ्यूजी'-जो व्यक्ति या समुदाय अपना देश किसी संकट के कारण छोड़ किसी दूसरे देश में आकर शरण लेते हैं उन्हें 'रिफ्यूजी' यानि शरणार्थी कहा जाता है. यह संकट उनकी जाति, धर्म, या नागरिकता आदि पर हो सकता है. संयुक्त राष्ट्र 1951 रिफ्यूजी सम्मेलन के मुताबिक अधिकतर शरणार्थी कुदरती या मानव निर्मित आपदाओं के कारण दूसरे देशों में शरण लेते हैं.
किन देशों के नागरिकों ने ली दूसरे देशों में शरण-
साल 2009 में विश्व की 43.3 मिलियन आबादी को जबरदस्ती दूसरे देश में स्थापित किया गया जो 2018 में बढ़कर 70.8 मिलियन हो गई. साल 2012 से 2015 में सीरिया विवाद के समय इसमें वृद्धि हुई.
अन्य क्षेत्रों में भी विवाद इसका मुख्य कारण रहा. इसमें इराक और यमन, उप-सहारा अफ्रीका के कुछ हिस्से जैसे कि डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) और दक्षिण सूडान भी शामिल है. 2017 के अंत में बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थी रहने लगे. कुल मिलाकर यूएनएचसीआर के जनादेश के तहत शरणार्थी आबादी 2012 के बाद से लगभग दोगुनी हो गई है.
वेनेजुएला में हिंसा और असुरक्षा की वजह से नए शरणार्थियों की सबसे बड़ी संख्या 341,800 है. 2018 के अंत तक तीन मिलियन से अधिक वेनेजुएला के लोग अपने घरों को छोड़ दूसरे देश में रहने को मजबूर हो गए.