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विश्व शांति दिवस : शहर-ए-लखनऊ से विश्व को दिया जा रहा एकता और अमन का पैगाम

राजधानी लखनऊ गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल रही है. शहर के कई मंदिर-मस्जिदों और गुरुद्वारों में सदियों से आपसी भाई चारे और एकता के साथ अमन की मिसाल कायम है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 21, 2023, 10:01 PM IST

लखनऊ : राजधानी में भी एकता भाईचारे और अमन का संदेश दिया जाता है. यहां एक तरफ आजान सुनाई दी जाती है. वहीं दूसरी ओर भजन की गूंज. लखनऊ गंगा जमुनी तहजीब और अमन के लिए जाना जाता है. हर साल 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस मनाया जाता है. दुनियाभर में हिंसा और संघर्षों को रोकते हुए शांति को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस या विश्व शांति दिवस मनाया जाता है. शहर में कई ऐसे स्थल हैं जहां से एकता और शांति का संदेश दिया जाता है.

विश्व शांति दिवस.
विश्व शांति दिवस.

एक तरफ नमाज तो दूसरी तरफ होती है रामलीला

राजधानी में ऐशबाग ईदगाह और रामलीला मैदान गंगा जमुनी तहजीब का केंद्र है. यहां एक तरफ नमाज होती है तो दूसरी तरफ रामभक्त राम लीला का मंचन करते हैं. दोनों ओर से आपसी सद्भाव और शांति का संदेश दिया जाता है. ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली बताते हैं. ये इलाका गंगा जमुनी तहजीब का मिसाल है. यहां पर सभी समुदाय के लोग मिलजुल कर रहते हैं. करीब आठ साल पहले रामलीला मैदान में सामूहिक विवाह कार्यक्रम था, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए थे. ठंड के मौसम में कई हिंदू साथी सड़क पर सोने की तैयारी कर रहे थे, उसी समय ईदगाह के दरवाजे उन लोगों के लिए खोल दिए गए. सभी हिंदू भाइयों ने ईदगाह में रात गुजारी और सभी ने हमारी एकता को सराहा. वहीं एक बार ईद की नमाज में हजारों की संख्या में नमाजी आ गए थे तो ईदगाह के आगे बने मंदिर के पुजारी ने मंदिर का दरवाजा खोल कर मंदिर परिसर में नमाज अदा करवाई. ऐसी कई मसले हैं जो शहर की एकता की मिसाल है.

विश्व शांति दिवस.
विश्व शांति दिवस.



दरगाह में लगता हिंदू भक्तों का जमावड़ा

मॉल एवेन्यू में दादा मियां दरगाह में सभी समुदाय के लोग आकर अमन चैन की दुआ करते हैं. सिलसिला आलिया क़ादरिया चिश्तिया अबुल उलईया जहांगीरिया के सिलसिले के मशहूर सूफ़ी बुज़ुर्ग हरज़रत ख्वाजा मोहम्मद नबी रज़ा शाह अलमारूफ दादा मियां को हर धर्म के मानने वाले दादा मियां की बारगाह में आते हैं. दादा मियां ने लाखों लोगों को गुमराही से निकाल कर राहे हक पर लगाया और आज भी यह सिलसिला जारी है. रजा शाह 10 दिन के बाद एक बार खाना खाते थे और नौ दिन तक बगैर कुछ खाये गुजार देते थे फिर आपके पीर साहब ने आपको लखनऊ जाने का हुक्म दिया के आप वहां जाएं और अल्लाह के बंदों को सही रास्ता दिखाएं और आप लखनऊ सदर बाजार मे तशरीफ़ लाएं और हज़ारों लोगों को सीधे रास्ते पर ले आए आपने हज़ारों मुरीद बनाए और यह सिलसिला आज भी जारी है.

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