लखनऊः विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस (World Food Safety Day) कि शुरुआत 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा किया गया था. इस दिन को मनाने का उद्देश्य खान-पान से जनित रोगों और इसके रोकथाम के उपायों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है. आज के दिन इसके लिए विभिन्न संगठनों द्वारा विश्व के सभी देशों में जागरूकता अभियान किया जाता है.
दूषित खान-पान से लोग होते हैं बीमार
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर 10 में से एक व्यक्ति भोजन या दूषित खान-पान के बैक्टीरिया से बीमार हो जाता है. वहीं दुनिया की आबादी के हिसाब से हर साल 6 करोड़ से ज्यादा लोग बीमार होते हैं. विकासशील देशों में हर साल 30 लाख लोगों की मौत हो जाती है. इनमें बच्चों की संख्या एक लाख से ज्यादा होती है. इसीलिए हर साल विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के मौके पर लोगों को सुरक्षित और स्वच्छ भोजन के प्रति जागरूक किया जाता है.
ये है वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे की थीम
संयुक्त राष्ट्र के द्वारा कोशिश होती है कि दूषित खान-पान से होने वाली मौतों को कम किया जाए. इसके लिए हर साल 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस की थीम का चयन होता है. इस बार ''सुरक्षित भोजन आज एक स्वस्थ कल के लिए'' थीम का चयन किया गया है. सोशल मीडिया पर भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर कई प्रमुख हस्तियों ने लोगों को इस दिवस की बधाइयां दी हैं. संयुक्त राष्ट्र अपनी दो एजेंसियों खाद्य और कृषि संगठन तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन को दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए नामित किया है.
क्या है भारत में आंकड़ें
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर मिनट दूषित खान-पान से 44 से ज्यादा लोग बीमार हो जाते हैं. 66 फीसदी लोग बैक्टीरिया जनित खान-पान के कारण बीमार होते हैं, जबकि 26 फीसदी लोग दूषित रसायन के चलते, 4 फीसदी पैरासाइट के चलते बीमारी का शिकार होते हैं. होटल चलाने वाले दुकानदार राजेश चौधरी बताते हैं कि वह खान-पान की शुद्धता पर विशेष ध्यान देते हैं, जिससे ग्राहकों के स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव न हो.