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विश्व ब्रेल दिवसः नेत्रहीन को पढ़ने-लिखने की दी लिपि, जानें क्या है ब्रेल लिपि

ब्रेल लिपि के आविष्कार लुईस ब्रेल का 4 जनवरी को जन्मदिन है. यह दिन विश्व ब्रेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. आंखें चली जाने के बाद महज 15 वर्ष की आयु में लुईस ब्रेल ने ब्रेल लिपि का आविष्कार किया था.

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ब्रेल लिपि के आविष्कार लुईस ब्रेल.

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Published : Jan 3, 2020, 11:56 PM IST

लखनऊ:4 जनवरी को ब्रेल लिपि के आविष्कार लुईस ब्रेल के जन्मदिन के मौके पर विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है. लुईस ब्रेल का जन्म 1809 में फ्रांस में हुआ था. बचपन में एक हादसे के दौरान लुईस ब्रेल की आंखें चली गई थीं. आंखों की रोशनी चली जाने के बाद भी लुइस ने हिम्मत नहीं हारी और महज 15 वर्ष की उम्र में ब्रेल लिपि का आविष्कार किया. इस लिपि की मदद से नेत्रहीन लोग कागज पर अक्षरों को उभारकर पढ़ सकते हैं.

लुईस ब्रेल को संगीत में काफी दिलचस्‍पी थी और वह कई तरह के यंत्र बजा लेते थे. लुईस की मृत्यु 43 साल की कम उम्र में टीबी की बीमारी से हुई थी.

भारत सरकार द्वारा सम्मान

4 जनवरी 2009 को लुई ब्रेल के जन्मदिन के अवसर पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया था. बता दें कि अब तक कई देशों ने लुई ब्रेल को सम्मानित कर चुके हैं.

आखिर क्या है ब्रेल लिपि ?

  • यह लिपि कागज पर अक्षरों को उभारकर बनाई जाती है.
  • इसमें 12 बिंदुओं को 6-6 अक्षरों की दो पंक्तियों में रखा जाता है.
  • इसमें विराम चिह्न, संख्‍या, गणितीय चिह्न आदि नहीं होते है.
  • ब्रेल लिपि के तहत बिंदुओं को जोड़कर अक्षर, अंक और शब्‍द बनाए जाते हैं.
  • इस लिपि की मदद से नेत्रहीन व्यक्ति कागज पर अक्षरों को उभारकर पढ़ सकता है.
  • इस पद्धति का आविष्कार 1884 में एक नेत्रहीन फ्रांसीसी लेखक लुई ब्रेल ने किया था.
  • यह लिपि दुनिया के लगभग सभी देशों में उपयोग में लाई जाती है.

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