लखनऊ : नगर निगम प्रशासन की लापरवाही के चलते भैंसाकुंड में अपनों का अंतिम संस्कार करने के लिए पहुंचने वाले लोगों की जेब ढीली हो रही है. नगर निगम के अधिकारियों की तरफ से रेट का निर्धारण न करने से महंगे दामों में अंत्येष्टि के लिए लकड़ी खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. निगम प्रशासन ने कमेटी भी बनाई गई, लेकिन ठेकेदारों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है.
ईटीवी भारत ने गुरुवार को बैकुंठ धाम में लकड़ियों की कीमतों की पड़ताल की तो स्थिति काफी निराशाजनक मिली. बैकुंठ धाम में भारतीय जनता पार्टी के कई पार्षद लकड़ियों की कीमतों में अंकुश लगाए जाने और नगर निगम प्रशासन द्वारा लकड़ी की कीमतों को निर्धारित करने की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं. ईटीवी भारत ने धरना दे रहे बीजेपी के पूर्व पार्षद रणजीत सिंह से बात की. उन्होंने कहा कि 'नगर निगम प्रशासन की तरफ से मनमानी की जा रही है. लकड़ी की कीमतों को निर्धारित नहीं किया गया है, जिससे अंत्येष्टि में आने वाले लोगों को मनमानी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है और निर्धारित कीमतों से अधिक कीमत पर अपने परिजनों के अंत्येष्टि के लिए लकड़ी खरीदनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि ₹550 प्रति क्विंटल लकड़ी की कीमत निर्धारित की गई थी, इस समय 700 से 800 व ₹900 में लोग अंत्येष्टि के लिए लकड़ी खरीदने के लिए मजबूर हो रहे हैं. हमने सरकार और संगठन के लोगों को भी बताया है. हमने सब को यह जानकारी दी है कि यहां पर दुख के समय लोग महंगी कीमतों पर लकड़ी खरीदने को मजबूर हैं. इसकी व्यवस्था बेहतर करनी चाहिए. नगर निगम प्रशासन द्वारा लकड़ी की कीमतों को निर्धारित करने का काम करना चाहिए. करीब 20 दिन पहले नगर आयुक्त ने कमेटी का गठन किया था, लेकिन अभी तक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट नहीं दी, जिससे लकड़ी की कीमतों को निर्धारित किया जा सके.