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इस उम्र में पीरियड्स आने हो जाते हैं बंद, जानिए क्या है वजह - लखनऊ समाचार

आमतौर पर महिलाओं में 40 से 50 वर्ष की उम्र महिलाओं के पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं. जब मेनोपॉज होता है तो महिलाओं में कई शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं. मेनोपॉज के दौरान किसी भी शारीरिक तकलीफ को नजरअंदाज न करें.

मेनोपॉज की समस्या
मेनोपॉज की समस्या

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Published : Aug 10, 2021, 10:00 PM IST

लखनऊ: महिलाओं में 40 से 50 साल के बाद माहवारी (पीरियड्स menstruation) बंद हो जाती है. मेनोपॉज यानी पीरियड्स का बंद होना एक स्वाभाविक शारीरिक बदलाव है. महिला की आखिरी माहवारी के बाद उनके शरीर में हार्मोनल चेंजिंग (hormonal changes) होते हैं, जिसकी वजह से उनकी शारीरिक गतिविधियों पर गहरा प्रभाव पड़ता है. ऐसी स्थिति कभी-कभी महिलाओं के लिए काफी ज्यादा घातक सिद्ध होती है.

इस पर क्वीन मेरी अस्पताल (Queen Marys Hospital) की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा सचान ने बताया कि अस्पताल में बहुत सी महिलाएं आती हैं, जिन्हें पीरियड्स के आखिरी दिनों में दिक्कतें होती हैं. पीरियड्स बंद होने के बाद बच्चेदानी (Uterus) या स्तन (breast) पर प्रभाव पड़ता है. डॉक्टर कहती हैं कि 40 या 50 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं में मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) आता है. साधारण भाषा में जब महिला के पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं तो उसे मेनोपॉज कहते हैं. जब मेनोपॉज होता है तो महिलाओं में कई शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं. लिहाजा, महिलाओं को सलाह है कि मेनोपॉज के दौरान किसी भी शारीरिक तकलीफ को बिल्कुल नजर अंदाज न करें.

महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा सचान
डॉ. रेखा सचान बताती हैं कि अगर महिलाओं में 40 की उम्र के बाद करीब एक साल तक मासिक धर्म नहीं आएं तो मेनोपॉज की अवस्था मानी जाती है. मेनोपॉज में मासिक धर्म धीरे-धीरे कम होने लगता है. फिर एक-दो साल के भीतर पूरी तरह बंद हो जाता है. इसके कारण शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन (estrogen hormone) की मात्रा का कम होना होता है. हालांकि, मेनोपॉज की स्थिति में महिलाओं को कतई घबराने की जरूरत नहीं है.

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डॉ. सचान बताती हैं कि पीरियड्स आना प्रकृति की देन है. इससे एक महिला को मां बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है. पीरियड्स के जरिए शरीर का गंदा ब्लड बाहर निकालता है. और जब एक उम्र के बाद पीरियड्स बंद होता है तो ब्लड शरीर के बाहर नहीं निकलता. यही सबसे बड़ा कारण है कि शरीर के किसी भी हिस्से में इसका प्रभाव पड़ता है. कभी बच्चे दानी में या स्तन पर..

मेनोपॉज की समस्याएं
डॉ. सचान बताती हैं कि महिलाओं में मेनोपॉज की समस्या की जब शुरुआत होती है. उस समय से तनाव, उदासी, बेचैनी, घबराहट, भ्रम, चिड़चिड़ापन, दुविधा की स्थिति, अनिद्रा और गुस्सा आने जैसे लक्षण आम होते हैं. इसमें महिलाओं को अधिक गर्मी लगना, बुखार आना, यूरिन में जलन और जननांगों में संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

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ये रखें सावधानी

  • मेनोपॉज की प्रक्रिया के दौरान महिलाएं चीनी और मीठा कम खाएं.
  • मीठा खाने से हड्डियों में दर्द की समस्या उत्पन्न होती है.
  • ब्लड प्रेशल, थायराइड, मधुमेह, वजन, पैप स्मीयर, मैमोग्राफी (Mammography) की जांच जरूरी है.
  • मेनोपॉज के दौरान जननांग की सफाई का विशेष ध्यान रखें. इस दौरान संक्रमण का खतरा रहता है.
  • संक्रमण होने पर क्रीम और कुछ एंटीबायोटिक दवाएं चलती हैं, जिनसे आराम मिलता है.
  • जननांग में संक्रमण होने पर पानी ज्यादा से ज्यादा पिएं.
  • ग्वार फली, भिंडी, आलू, मटर, चना और गोभी खाने से परहेज करें.
  • मसालेदार और चटपटा भोजन खाने से बचना चाहिए.
  • शराब, सिगरेट, चाय, कॉफी से परहेज करें. गुनगुने पानी से नहाएं.
  • तनाव कम लें.


    इन बातों का ध्यान रखें
  • योग के साथ ध्यान लगाएं और प्राणायाम करें.
  • तनाव से दूर रहें, किसी चीज की चिंता न करें.
  • नियमित खानपान में गाजर, पालक, टमाटर, आंवला, पपीता और अखरोट शामिल करने चाहिए.
  • महिला को सोयाबीन अधिक खाना चाहिए.
  • नियमित व्यायाम के साथ घूमें टहलें.
  • खुद को व्यस्त रखें.

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