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महिला हेल्पलाइन कर्मचारियों को पिछले एक साल से नहीं मिला वेतन

महिला हेल्पलाइन यूपी सरकार की एक योजना है, जिसे महिला उत्पीड़न रोकने के लिए बनाया गया था. इस हेल्पलाइन में कार्य करने वाली महिलाओं को एक साल से वेतन नहीं मिला है. अब यह महिला हेल्पलाइन कर्मचारी अपने वेतन और बहाली की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं.

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Published : Jul 24, 2020, 2:26 PM IST

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महिला कर्मचारियों का धरना.

लखनऊ:उत्तर प्रदेश सरकार महिला सुरक्षा एवं महिला सशक्तिकरण को लेकर कितनी गंभीर है,इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 181 महिला हेल्पलाइन में कार्यरत महिला कर्मचारियों का 1 साल से अधिक समय का वेतन भुगतान नहीं किया गया है. महिलाओं ने अपने बकाया वेतन की मांग की तो 181 महिला हेल्पलाइन का संचालन करने वाली कंपनी जीवीके ने इन महिलाओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया. अब यह महिला हेल्पलाइन कर्मचारी अपने वेतन और बहाली की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महिला हेल्पलाइन महिला उत्पीड़न को रोकने के लिए महिला हेल्पलाइन बनाई गई थी. महिला हेल्पलाइन महिलाओं से की गई मारपीट, दुष्कर्म, दहेज उत्पीड़न, छेड़छाड़ आदि घटनाओं में महिलाओं की मदद करती है. हेल्पलाइन में कार्यरत महिलाएं आज खुद ही मदद की मोहताज बन गई हैं. इस हेल्पलाइन की सबसे खास बात यह है कि इसमें कार्यरत सभी कर्मचारी किसी न किसी उत्पीड़न की शिकार रह चुकी हैं. महिला हेल्पलाइन में एसिड अटैक, दुष्कर्म और अन्य उत्पीड़न की शिकार महिलाएं कार्य करके अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करती थीं.

महिला कर्मचारियों ने दिया धरना

महिला हेल्पलाइन में कार्य करने वाली एक कर्मचारी की उसके मकान मालिक से कहासुनी हो गई थी, जिसके बाद वह अपने परिवार को लेकर गांव चली गई थी. अवसाद में आकर उसने आत्महत्या कर ली थी. साथ ही महिला कर्मचारियों ने यह भी बताया कि यदि हम लोगों को वेतन नहीं देना था तो 1 साल से हम लोगों से काम क्यों करा रहे थे. 1 साल पहले ही हम लोगों को नौकरी से निकाल दिया होता. हम लोगों ने कर्जा लेकर 1 साल तक नौकरी की है. अब कर्जदार हम लोगों को परेशान कर रहे हैं. लखनऊ के इको गार्डन पार्क में आज गुरुवार को पूरे प्रदेश से महिला हेल्पलाइन में कार्य करने वाली महिलाओं ने धरने में भाग लिया.

महिला कर्मचारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके प्रतिनिधि मंडल की वार्ता कराए जाने की मांग कर रही हैं. महिला कर्मचारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी ही उनकी सहायता कर सकते हैं. 1 साल से हम लोग लगातार रजिस्ट्री, आइजीआरएस पोर्टल आदि सभी माध्यमों से मंत्री, उच्चाधिकारियों और मुख्यमंत्री से गुहार भी लगा चुके हैं. इस प्रकरण में किसी ने कोई भी मदद नहीं की. इस पूरे मामले में कार्यदाई संस्था जेवीके और महिला कल्याण विभाग से सांठ-गांठ का भी अंदेशा जाहिर होता है. इसमें कोई बड़ा घोटाला भी हो सकता है. इन्हीं सवालों का जवाब महिला कर्मचारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से चाहती हैं.

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