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वैक्सीनेशन के बाद लौटी मां बनने की उम्मीद, फ्रीज भ्रूण से गर्भधारण कर रहीं महिलाएं

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Published : Sep 13, 2021, 4:02 PM IST

कोरोना संक्रमण (corona infection) का खतरा कम होने के वैक्सीनेशन करवा चुकी महिलाएं अब फ्रीज करवाए भ्रूण से गर्भधारण कर रही हैं. ये वो महिलाएं हैं जो कोविड संक्रमण के डर से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) यानी कृत्रिम गर्भाधान विधि की मदद से गर्भधारण नहीं कर सकीं थी.

आईवीएफ से महिलाएं बन रहीं मां
आईवीएफ से महिलाएं बन रहीं मां

लखनऊ: कोरोना संक्रमण (corona infection) का खतरा कम होने के बाद महिलाओं में मां बनने की उम्मीद एक बार फिर लौटी है. कोविड संक्रमण के डर से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (in vitro fertilization आईवीएफ) यानी कृत्रिम गर्भाधान विधि से भी महिलाएं गर्भधारण नहीं कर सकीं. क्योंकि दो साल तक आईवीएफ सेंटर बंद रहें, लिहाजा महिलाएं आईवीएफ की प्रक्रिया से मां नहीं बन सकीं. एक निजी संस्थान के मुताबिक, इस अवधि में आईवीएफ तकनीक से तैयार भ्रूण (embryo) को गर्भधारण करने के बजाय भ्रूण फ्रीज करवा दिए गए थे. कोरोना का खतरा कम होने के बाद वैक्सीनेशन करवा चुकी महिलाएं अब फ्रीज करवाए गए भ्रूण से गर्भधारण कर रही हैं. बहुत सी महिलाओं ने कोरोना काल में जच्चा और बच्चा का ध्यान रखते हुए लैब में बने 100 प्रतिशत भ्रूण फ्रीज करवा दिए थे. अब एक बार फिर वो महिलाएं आईवीएफ सेंटर जा रही हैं और फ्रीज करवाए गए भ्रूण से गर्भ धारण कर रही हैं. डॉक्टर के मुताबिक, टीकाकरण करवा चुकी महिलाओं को कोई खतरा नहीं है.

हजरतगंज स्थित एक निजी क्लीनिक की डॉ. आरके सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण के प्रकोप को देखते हुए डब्ल्यूएचओ (WHO) की ओर से इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फर्टिलिटी (International Federation of Fertility) आइएफएफएस) की गाइड लाइन में भ्रूण फ्रीज करने के लिए कहा गया था. क्योंकि इस दौरान कोरोना वायरस से होने वाले नुकसान का आंकलन नहीं हो पा रहा था. हालांकि, अब स्टडी के बाद पता चल गया है कि कोविड संक्रमण गर्भवस्था पर बुरा असर नहीं डालता है.

आईवीएफ से महिलाएं बन रहीं मां
टीकाकरण के बाद प्रसूताओं को खतरा नहीं आईवीएफ सेंटर की डॉ. बबिता ने बताया कि कोविड वैक्सीन (Covid Vaccination) के दोनों डोज लगवाने के बाद फ्रीज किए हुए भ्रूण से महिलाएं कंसीव कर रही हैं. अभी संक्रमण कम है, लेकिन कोरोना की तीसरी लहर (third wave of corona) को लेकर अभी चिंता बनी हुई है. ऐसे में गर्भवतियों को अपने खानपान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. अच्छा खान-पान होने पर आपको इम्युनिटी मिलेगी, जो आपको बाकी बीमारियों से भी बचाएगा. केस-1निषातगंज निवासी राधा निगम को शादी के पांच साल बाद भी बच्चा नहीं हुआ तो डॉक्टरों ने आईवीएफ करवाने की सलाह दी. आईवीएफ ट्रीटमेंट में भ्रूण बनने के बाद डॉक्टर की सलाह पर सीमा ने उसे फ्रीज करवा दिया था. कोरोना संक्रमण कम होने के आठ महीने के बाद उन्होंने गर्भधारण पर सोचा. इसके बाद उन्होंने जून में उस भ्रूण से गर्भधारण कर लिया है. केस-2राजाजीपुरम निवासी वैशाली शर्मा का पिछले दो साल से आईवीएफ ट्रीटमेंट चल रहा था. दो बार आईवीएफ से कंसीव करने के बाद भी गर्भस्थ ठहर नहीं सका. इस बार जब भ्रूण बन गया तो सोनी ने 10 महीने तक फ्रीज करवा लिया. वह कोरोना के बढ़े मामलों में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थीं. इसके बाद अब जुलाई में सोनी ने कोरोना कम होने पर भ्रूण से गर्भधारण कर लिया है.

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सरकारी अस्पताल में नहीं है आईवीएफ की कोई सुविधा
निजी अस्पतालों को अगर हम छोड़ दें तो सरकारी अस्पताल में आईवीएफ यानी कि वीटो फर्टिलाइजेशन द्वारा गर्भधारण कराने की कोई सुविधा नहीं है. हजरतगंज के डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में संतान सुख क्लीनिक बनाया गया, लेकिन यहां भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में बहुत सारे गरीब लोग हैं, जो संतान सुख से वंचित हैं. उनके लिए आईवीएफ जैसी महंगा ट्रीटमेंट कराना मुश्किल है. सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसके नंदा का कहना है कि संतान सुख क्लीनिक में जल्दी डॉक्टर बैठेंगे. बाकी जिले के अन्य अस्पतालों में आईवीएफ जैसी कोई भी सुविधा नहीं है.

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