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महिला दिवस स्पेशलः मुश्किलों भरा था कोरोना लॉकडाउन, नहीं हारी हिम्मत

वर्तमान समय में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी दे रही हैं. वहीं कोरोना लॉकडाउन में स्वास्थ्य विभाग ने सहासिक कार्य किया. इसमें पुरुष स्वास्थ्य कर्मियों के साथ महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने भी बढ़ चढ़कर अपना योगदान दिया. देखें एक रिपोर्ट...

महिला दिवस.
महिला दिवस.

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Published : Mar 6, 2021, 4:48 PM IST

Updated : Mar 6, 2021, 8:34 PM IST

लखनऊः वर्तमान समय में महिलाएं हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर कर हिस्सा ले रही हैं. फिर बात अगर कोरोना लॉकडाउन की करें तो, ये तो सभी जानते हैं कि इस दौरान महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपने कर्तव्य को निभाने के लिए अपने घर से दूर रहीं. सीएमओ डॉ. संजय भटनागर के मुताबिक लखनऊ जनपद में तकरीबन 60 हजार स्वास्थ्य कर्मचारियों की ड्यूटी लॉकडाउन के समय कोविड अस्पताल में लगाई गई थी. इसमें पुरुष स्वास्थ्य कर्मियों की तुलना में महिला स्वास्थ्य कर्मी ज्यादा रहीं.

उन्होंने कहा कि जिले में एक भी महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों की कोरोना से मृत्यु नहीं हुई. कोरोना काल में सभी महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपने बारे में बिना सोचे अपने काम को महत्वपूर्ण समझा और मरीजों की देखभाल और सेवा के लिए अपने परिवार से भी दूर रही.

महिला स्वास्थ्य कर्मी.

लखनऊ में कुल 1156 कर्मचारी संक्रमण की चपेट में आए थे

राजधानी में कुल 1156 स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना संक्रमण की चपेट में आए थे. इसमें स्टाफ नर्स 388, फॉर्मास्टिक 104, एएनएम और आशा कार्यकर्ता 293, लैब टेक्नीशियन 219 और बाकी 152 स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हुए थे. इन्हें होम आइसोलेट किया गया था. वर्तमान में सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों का स्वास्थ्य सही है और लखनऊ में अब तक कुल 67,843 लोगों को कोविड वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी हैं. वहीं प्रदेश भर में 38,7,553 लोगों को वैक्सीन लगाया जा चुका है.

प्रदेशभर में 85 कर्मचारियों की हुई मौत

प्रदेश भर में कोरोना से कुल 85 स्वास्थ्य कर्मचारियों की मौत हुई. इनमें महिला और पुरुष कर्मचारी दोनों शामिल रहें. कोरोना वायरस से मरने वाले सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए सरकार ने 50 लाख का बीमा करवाया है.

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बेहद मुश्किल था कोरोना काल में ड्यूटी करना

केजीओ के नर्सेज एसोसिएशन की अध्यक्ष यदुनंदिनी सिंह लखनऊ के राम विहार पारा रोड राजाजीपुरम की रहने वाली हैं. कोरोना लॉकडाउन में इन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. यदुनंदिनी ने बताया कि ड्यूटी ही पहली प्राथमिकता है. इसके लिए उनके पति उनका पूरा साथ देते हैं. इनके दो बच्चे भी जोकि अभी पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन बेहद मुश्किल होता है एक मां के लिए अपने बच्चों के बिना रहा. कोरोना लॉकडाउन एक बुरा दौर था जो बीत चुका है, लेकिन इस दौरान हमने और हमारे साथियों ने काफी मेहनत की. सबसे पहले हमने हमारे मरीज की देखभाल को प्राथमिकता दी. इसके बाद परिवार को.

आखिरकार हमने हिम्मत नहीं हारी

साइकेट्रिक डिपार्टमेंट केजीएमयू की नर्स अमिता श्रीवास्तव ने बताया कि, कोरोना लॉकडाउन में ड्यूटी करना बेहद कठिन काम था. पीपीई किट पहनकर ड्यूटी देना काफी मुश्किल होता था. परिवार से मिलने की इच्छा भी बहुत होती थी, लेकिन बहुत मुश्किल से दिल को मनाना पड़ता था. ऐसे हालात में हम अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हट सकते थे. हमने ठान लिया था. उस वक्त चाहे जो हो जाए, लेकिन हम ड्यूटी छोड़कर घर नहीं लौटेंगे.

खतरा अभी टला नहीं

महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कहा कि कोरोना के मरीज भले ही अभी कम आ रहे हैं, लेकिन खतरा अभी तला नहीं है. वैक्सीनेशन चल रहा है, लेकिन फिर भी सावधानी बरतना जरूरी न सिर्फ हमारे लिए बल्कि हमारे परिवार के लिए भी जरूरी है.

Last Updated : Mar 6, 2021, 8:34 PM IST

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