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महिला के कोविड से संघर्षों की दास्तां सुन आपकी भी कांप जाएगी रूह

राजधानी लखनऊ की एक महिला के पति को बेड और ऑक्सीजन न मिलने से मौत हो गई. महिला ने अपने साथ हुई कोविड से संघर्षों की दास्तां ETV bhart से फोन पर बताई. जिसे सुनकर हर किसी की रूह कांप जाएगी.

महिला के कोविड से संघर्षों की दास्तां सुन आपकी भी कांप जाएगी रूह
महिला के कोविड से संघर्षों की दास्तां सुन आपकी भी कांप जाएगी रूह

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Published : Apr 30, 2021, 1:48 AM IST

लखनऊ: हम आपको एक ऐसी महिला के कोविड से संघषों की दास्तां बताएंगे जिसे पढ़कर आपकी रूह कांप जाएगी. महिला अपने पति अखिल कटियार को अकेले कार में लेकर अस्पताल के लिए दर-दर भटकती रही, लेकिन सूबे की राजधानी लखनऊ में उसे न तो बेड मिल सका और न ही ऑक्सीजन. मिला तो सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन. लिहाजा उसे शहर छोड़ कर करीब ढाई सौ किलोमीटर दूर अपने गृह जनपद इटावा भागना पड़ा.

प्रदेश की राजधानी में इलाज नहीं मिल पाने से परेशान महिला प्रीति कटियार अपने पति को लेकर इटावा पहुंची. लंबी जद्दोजहद के बाद सैफई मेडिकल कालेज में बेड मिला. इलाज शुरू तो हुआ लेकिन काफी देर हो चुकी थी. टेलीकॉम कंपनी में बड़े पद पर काम करने वाले अखिल कोरोना से जंग हार गए. उन्होंने 19 अप्रैल को आखिरी सांस ली.

पहले टाइफाइड बाद में कोरोना

अखिल की पत्नी प्रीति ने ETV bhart से फोन पर बात करते हुए अपनी दुख भरी दास्तान सुनाई. उन्होंने बताया कि पांच अप्रैल को अखिल को सामान्य सा बुखार हुआ था. बगल की क्लीनिक से दवा ली गई. फिर भी बुखार लगातार बना रहा. जांच कराई गई तो पता चला कि टाइफाइड हुआ है. उनका इलाज पास के एक छोटे अस्पताल में कराया जा रहा था. खांसी शुरू हो गयी. डॉक्टर ने कोविड जांच कराने से रोका और कहा कि हम ठीक कर लेंगे. कोविड जांच के बाद बहुत लफड़ा होता है.

अस्पताल दर अस्पताल भटकती रही बेबस प्रीति

हालात बिगड़ते देख उन्हें दूसरे अस्पताल में लेकर पहुंची. अस्पताल ने उनके पति को एडमिट तो कर लिया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि कोरोना की जांच पॉजिटिव आने पर यहां से इन्हें निकाल दिया जाएगा. कोविड जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इस पर अस्पताल प्रशासन ने उन्हें मरीज लेकर ले जाने को कहा. प्रीति थक हार कर वापस अपने घर ले आई. इस दौरान व अस्पतालों से लगातार संपर्क कर रही थीं. ऑक्सीजन का स्तर गिरता जा रहा था. मरीज को लेकर मेडिकल कालेज पहुंची. वहां ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो सकी. एक दूसरे अस्पताल से बात हुई तो उसने आश्वासन दिया कि इलाज हो जाएगा. अस्पताल पहुंची तो वहां के डॉक्टर यह कहने लगे कि ऑक्सीजन नहीं है, लेकिन आप भर्ती करा सकती हैं. कुछ देर में ऑक्सीजन सिलेंडर आ जायेगा. हमारे जोर देने पर अस्पताल ने कहा कि 15 मिनट में सिलेंडर आ जायेगा. लेकिन उनका 15 मिनट नहीं हुआ. काफी देर तक इंतजार करने के बाद वहां से दूसरे अस्पताल के लिए निकल पड़ी. इसी बीच अपने घर सैफई बात की. बेड मिलने का आश्वासन मिला तो पति को लेकर सैफई पहुंची. डॉक्टरों ने यहां बहुत गंदा व्यवहार किया. डॉक्टरों ने इलाज में देरी ही नहीं की बल्कि घोर लापरवाही भी की. प्रीती ने बताया कि डॉक्टरों के सामने वह गिड़गिड़ाती रहीं. उनसे कहती रही कि मेरे पति का ऑक्सीजन लेवल गिरता जा रहा है. वहां के डॉक्टर फाइल बन जाने के बाद इलाज शुरू करने की बात कहते रहे. काफी जद्दोजहद के बाद इलाज शुरू हो पाया. अंततः 19 अप्रैल को वो यह जंग हार गए.

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सैफई मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों पर उठाया बड़ा सवाल

प्रीती ने कहा कि अच्छा तो यह होता कि हम अपने पति को अस्पताल लेकर ही न जाते. कम से कम उनकी इतनी खराब स्थिति न होने पाती. सैफई मेडिकल कॉलेज में जब उन्होंने (अखिल) अंतिम सांस ली. मेरी दुनिया उजड़ गयी थी. मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा था. अखिल की डेड बॉडी से कई जगह से ब्लड निकल रहा था. यह बात मुझे परिजनों ने बताई. उस वक्त मुझे होश ही नहीं था कि हम फोटो या वीडियो बना पाते. प्रीति ने सन्देह व्यक्त किया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि पति के शरीर से कुछ ऑर्गन निकाल लिए गए हों. उन्होंने मांग किया ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

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