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विधि विधान से मनाया गया करवा चौथ व्रत - करवा चौथ पूजा विधि

पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनों का करवाचौथ का व्रत चांद दिखते ही पूरा हो गया. राजधानी लखनऊ के हर क्षेत्र में सुहागिन महिलाओं ने विधि-विधान और उत्साह के साथ करवाचौथ त्योहार मनाया.

सुहागिनों से बातचीत.
करवा चौथ व्रत.

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Published : Nov 5, 2020, 8:36 AM IST

लखनऊ : बुधवार को देश भर में करवाचौथ का त्योहार मनाया गया. पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा. इस त्योहार में रात में चंद्रमा देखने के बाद महिलाओं ने अपना व्रत खोला. इस साल करवाचौथ के दिन एक खास संयोग बना था, जिससे इस दिन का महत्व और बढ़ गया.

4 नवंबर को करवाचौथ पूरे देश में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया. राजधानी लखनऊ में शिव-गणेश और स्कंद यानी कार्तिकेय के साथ माता गौरी की पूजा-अर्चना की गई. मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से पति की उम्र लंबी होती है. सुहागिन महिलाओं के साथ ही कुवारी लड़कियां भी यह व्रत रखती हैं. इस दिन निर्जला व्रत रखकर महिलाएं सौभाग्य की प्राप्ति और सुख-शांति की कामना करती हैं.

सुहागिनों से बातचीत.

करवा चौथ पूजा में मिट्टी का टोटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रुई, अगरबत्ती, चंदन कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बुरादा, मेहंदी महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी समेत चुनरी का प्रयोग होता है. साथ ही माता गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पुरिया, हलवा और दक्षिणा के पैसे सामग्री का प्रयोग करते हुए महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत खोला.

पति और पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने के लिए करवा चौथ का व्रत विशेष महत्व रखता है. इस दिन रात में महिलाएं चांद को अर्घ्य देकर और पति का चेहरा छलनी में देखकर ही व्रत खोलती हैं. गृहणी पूनम सिंह ने बताया कि यह गणेश चतुर्थी का व्रत होता है. जिसमें निर्जला व्रत पूरे दिन रखा जाता है. वहीं शाम होते ही चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं. उसके बाद पति का चेहरा छलनी में देखने के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है.

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