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किसानों की आय दोगुनी करने के लिए लगेंगी वाइनरी इकाइयां, योगी सरकार ने लिया फैसला

उत्तर प्रदेश में वाइनरी इकाई स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. वाइनरी स्थापित करने से संबंधित नियमावली 1961 और फिर वर्ष 2001 में घोषित की जा चुकी है.अब इसे अमली जामा पहनाने का समय आ गया है.

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए लगेंगी वाइनरी इकाइयां
किसानों की आय दोगुनी करने के लिए लगेंगी वाइनरी इकाइयां

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Published : Sep 29, 2021, 4:48 PM IST

लखनऊ:उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा फैसला किया है. यूपी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए वाइनरी इकाइयां लगाने की रणनीति तैयार की है. इससे जहां एक ओर वाइन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर किसानों की उपज का उचित मूल्य उन्हें मिल सकेगा. प्रदेश में उद्योगों की स्थापना से रोजगार के नये अवसर भी बढ़ेंगे और सरकार को वाइन की बिक्री से राजस्व भी मिल सकेगा.

यूपी सरकार के अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी की मानें तो देश के महाराष्ट्र राज्य के नासिक और पुणे में कई वाइनरी इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं. इसके अच्छे परिणाम आए हैं, किसानों की आय को बढ़ाने में ये काफी मददगार साबित हो रहें हैं. इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश में वाइनरी इकाई स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. वाइनरी स्थापित करने से संबंधित नियमावली 1961 और फिर वर्ष 2001 में घोषित की जा चुकी है.अब इसे अमली जामा पहनाने का समय आ गया है.

अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी
अपर मुख्य सचिव आबकारी ने बताया कि वर्ष 2021-22 की आबकारी नीति में वाइन उत्पादक इकाइयों की स्थापना और प्रोत्साहन के लिए कई प्रदेशों से प्रतिनिधियों को बुलाया गया था. उनसे वाइनरी इकाइयां स्थापित करने और प्रोत्साहन के लिए बनाए गए प्रावधानों पर चर्चा की गई. उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार फल उत्पादक किसानों की उपज का सदुपयोग और उनकी आय बढ़ाने के लिए वाइनरी स्थापित कराएगी. इससे वाइन उद्योग को भी बढ़ेगा और किसानों की उपज का उचित मूल्य उन्हें मिल सकेगा.
अपर मुख्य सचिव आबकारी ने बताया कि प्रदेश में कटहल, लीची, आम, जामुन, पपीता, अमरूद, अंगूर, आंवला आदि का अत्यधिक उत्पादन होता है, जिसकी खपत पूरी तरह से नहीं हो पाती है. फलों के भंडारण की सुविधा के अभाव में रख-रखाव न हो पाने से भारी मात्रा में फल शीघ्र खराब होते रहते हैं, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है, उन्हें अपनी उपज का समुचित लाभ भी नहीं मिल पाता.

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