लखनऊ : मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव में मेल हो गया. शिवपाल यादव जिस तरह से चाहते थे, अखिलेश ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाकर वैसा ही सम्मान भी दे दिया. शिवपाल ने पार्टी में सक्रिय भूमिका निभानी भी शुरू कर दी है. वह जिलों के दौरे कर रहे हैं. नाराज और निष्क्रिय पुराने समाजवादियों को अपने साथ लाने के लिए हर संभव कोशिश भी कर रहे हैं. बावजूद इसके एक सवाल है, जो शिवपाल के तमाम साथियों को रह-रहकर साल रहा है. ऐसे तमाम कार्यकर्ता, जो समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव का साथ छोड़कर शिवपाल सिंह यादव के साथ उनकी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में आ गए थे, अब उनका क्या होगा? हाल ही में घोषित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शिवपाल के एक भी साथी को जगह नहीं मिली है, यहां तक की शिवपाल यादव के पुत्र आदित्य यादव को भी इस कार्यकारिणी में शामिल नहीं किया गया है.
शिवपाल यादव और अखिलेश यादव में विवाद 15 अगस्त 2016 में तब शुरू हुआ, जब शिवपाल यादव मुलायम की सहमति से कौमी एकता दल का विलय समाजवादी पार्टी में कराना चाहते थे, तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे रोक दिया. शिवपाल ने से अपना अपमान माना और पार्टी से इस्तीफा देने की बात कही, हालांकि मुलायम सिंह यादव ने उन्हें रोक लिया. इस मनमुटाव ने आग में घी वाला काम तब हुआ जब 13 सितंबर को अखिलेश यादव ने शिवपाल के करीबी माने जाने वाले दो माह पहले ही नियुक्त मुख्य सचिव दीपक सिंघल को पद से हटा दिया. शिवपाल ने इसकी शिकायत तत्कालीन पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से की, जिसके बाद मुलायम ने अखिलेश को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया और शिवपाल सिंह यादव को नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. इससे नाराज मुख्यमंत्री अखिलेश ने भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे शिवपाल के करीबी दो मंत्रियों को पद से हटा दिया.
जवाब में 15 सितंबर 2016 को शिवपाल ने कैबिनेट मंत्री पद और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे दिया. इसके बाद विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन में अखिलेश की अनदेखी कर शिवपाल और मुलायम ने प्रत्याशियों की एक सूची जारी कर दी, जवाब में अखिलेश यादव ने भी अपनी एक अलग सूची जारी कर दी. विवाद इतना बढ़ा कि एक जनवरी 2017 को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को हटाकर अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया. इस परिवारिक विवाद के बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को करारी पराजय का सामना करना पड़ा. इसके बाद 29 अगस्त 2018 को शिवपाल सिंह यादव ने सपा से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की नींव रखी. शिवपाल यादव का सपा में बढ़ा कद था और उन्हें मिनी मुख्यमंत्री कहा जाता था. इस कारण उनके साथ कार्यकर्ताओं का एक बड़ा समूह भी था. शिवपाल के साथ इस समूह ने भी सपा छोड़ी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का हिस्सा बना.