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आदमखोर जानवरों की शरणस्थली बना लखनऊ, जानिए कहां-कहां से आए आदमखोर

लखनऊ चिड़ियाघर में प्रदेश के कई जिलों से आदमखोर जानवर लाए गए हैं. इनका व्यवहार काफी आक्रमक है. यह जंगली जानवर किसी मनुष्य या जीवजंतु को सामने देख लें तो नोच खाने में पीछे नहीं हटते.

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आदमखोर जानवरों की शरणस्थली लखनऊ

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Published : Jul 19, 2022, 10:22 AM IST

लखनऊ: जंगल में रहने वाला जानवर जब बस्ती के अंदर दाखिल होकर आम आदमी के खून का प्यासा हो जाए तो काफी खतरनाक हो जाता है. ऐसे आदमखोर जानवर उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में वन विभाग के सामने चुनौती पेश करते हैं. वन विभाग के अधिकारी तमाम ऐसे आदमखोर जानवरों को पकड़कर लखनऊ के चिड़ियाघर भेज चुके हैं. नवाबों के शहर लखनऊ का चिड़ियाघर आदमखोर जानवरों की शरण स्थली बन चुका है, यहां पर शेर, चीते, बाघिन जैसे आदमखोर शेरनी को रखा गया है. ऐसे जानवरों को पिंजरे में बंद कर दिया जाता है. एक लंबे समय तक जब यह पिंजरे में बंद रहते हैं तो उस दौरान इनके हाव-भाव और इनके रहन-सहन में बदलाव आता है.

लंबे समय तक पिंजरे में रहते हैं कैद
वन्य जीव चिकित्सक डॉ. अशोक कश्यप बताते हैं कि लखनऊ चिड़ियाघर में प्रदेश के कई जिलों से आदमखोर जानवर लाए जाते हैं. जिनका व्यवहार काफी आक्रमक होता है. यह जंगली जानवर किसी मनुष्य या जीवजंतु को सामने देखें तो नोच खाने में पीछे नहीं हटते हैं. मौका मिलते ही यह आक्रमण कर देते हैं. बीते सप्ताह लखीमपुर खीरी से एक बाघिन को लखनऊ चिड़ियाघर लाया गया. इसने लखीमपुर में 23 लोगों को घायल किया, जबकि चार-पांच लोगों को कच्चा चबा गई. इसी तरह तमाम ऐसे जंगली जानवर को यहां पर लाया गया है. जो काफी ज्यादा खतरनाक हैं और इन्हें पिंजरे में बंद किया गया है.

आदमखोर जानवरों की शरणस्थली बना लखनऊ
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पिंजरे में बंद होने पर आता है बदलाव
लखनऊ चिड़ियाघर के डायरेक्टर वीके मिश्रा ने बताया कि प्रदेश के तमाम जिलों से जंगली जानवरों को पकड़कर लखनऊ चिड़ियाघर में लाया जाता है. खासकर लखनऊ चिड़ियाघर में ऐसे जानवर आते हैं जो काफी खतरनाक होते हैं. इन जानवरों को पिंजरे में लाकर कैद किया जाता है. एक लंबी अवधि तक इन्हें पिंजरे में बंद किया जाता है. जब जानवरों को पिंजरे में बंद कर दिया जाता है तो वे काफी हद तक सुधर जाते हैं. कई बार ऐसा होता है कि लंबे समय तक हम जानवरों को पिंजरे में बंद करते हैं. इसके बाद जानवर के हाव-भाव और चाल ढाल में अंतर आया है. इसके बाद इन्हें आम जानवरों के समान बाड़े में शिफ्ट किया जाता है.जैसे ही ये पिंजरे से निकलते हैं यह अपने पुराने चाल ढाल में आ जाते हैं. गलती से भी इस तरह का कोई भी जानवर पिंजरे से न निकले इसके लिए वन्य जीव चिकित्सक लगातार इनकी निगरानी करते हैं. जब यह पूरी तरह से बदल जाते हैं, इनके व्यवहार में पूरी तरह से बदलाव आ जाता है. उसके बाद ही इन्हें खेमे में रखा जाता है.

20 से अधिक जंगली जानवर
साल 2021 से लेकर 2022 तक लखनऊ चिड़ियाघर में 20 से अधिक जंगली जानवरों को लाया गया है. इसमें बाघ, बाघिन, तेंदुआ, शेर एवं अन्य जंगली जानवर शामिल हैं. जानवरों को यहां लाकर डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाता है, ताकि उनके हाव-भाव, चाल-चलन सभी चीजों पर कड़ी निगरानी रखी जा सके.

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