लखनऊ: योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश पुलिस में विशेष सुरक्षा बल (SSF) नाम से आठवीं जांच एजेंसी बनाई है. जिसे पहले की सभी सात जांच एजेंसियों से ज्यादा अधिकार दिये गये हैं. एजेंसी के अधिकारी किसी भी व्यक्ति, संस्था प्रमुख को एफआईआर से पहले और वारंट के बिना गिरफ्तार कर सकते हैं. उनके घर, कार्यालय की तलाशी भी ले सकेंगे. अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी का कहना है निजी संस्था, कंपनी और व्यक्ति इस एजेंसी की सेवा ले सकेंगे. इसकी फीस अभी तय नहीं है. निजी क्षेत्र में ड्यूटी पर SSF के अधिकार बरकरार रहेंगे. एजेंसी तीन माह के अंदर काम करना शुरू कर देगी.
जांच एजेंसी को दिए असीमित अधिकार
यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 20 से 22 अगस्त तक चले विधानसभा के मानसून सत्र में विशेष सुरक्षा बल (UPSSF) बिल पास कराया था. जिस पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की मंजूरी मिलने के बाद 12 सितंबर को अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने बिल कानून में तब्दील हो जाने का आदेश जारी किया. नए कानून में नई जांच एजेंसी को असीमित अधिकार दिए हैं.
पुलिस महानिदेशक को दिए गए ये निर्देश
उत्तर प्रदेश पुलिस की शाखा के रूप में पहले से ही कार्यरत सात जांच एजेंसियों में से किसी को भी इतने अधिकार हासिल नहीं हैं और किसी भी जांच एजेंसी को निजी सेवा में लगाया नहीं जा सकता है, मगर एसएसएफ को निजी क्षेत्र की सेवा अधिकार भी है.तीन माह में होना है बल का गठनसरकार ने यूपी के पुलिस महानिदेशक हीतेश अवस्थी को तीन माह के अंदर इस जांच एजेंसी का ढांचा खड़ा करने का आदेश दिया है. एजेंसी का प्रमुख अपर पुलिस महानिदेश (एडीजी) स्तर का अधिकारी होगा. इस बल के लिए 1,913 नए पदों का सृजन होगा. इसकी पांच बटालियन बनेगी, जिस पर 1746 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
सूत्रों का कहना है कि एजेंसी में एक आईजी, दो डीआईजी और चार एसपी स्तर के अधिकारी होंगे. जवानों का चयन पहले पीएसी से किया जाएगा. यह एसएसएफ में प्रतिनियुक्ति पर आएंगे. बाद में सेवा की संतुष्टि होने पर इन्हें नई जांच एजेंसी में समायोजित किया जाएगा, पर अभी यह प्रस्ताव है, जिसे सरकार की मंजूरी मिलना बाकी है.क्या काम करेगी एजेंसीयूपी एसएसएफ इलाहाबाद हाईकोर्ट, उसकी लखनऊ खंडपीठ, जिला न्यायालय, प्रदेश सरकार के प्रशासनिक भवन, मंदिर (पूजा स्थल), मेट्रो, एयरपोर्ट, बैंक, वित्तीय संस्था, औद्योगिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में तैनात होगी.
नई जांच एजेंसी को अधिकारनए कानून के मुताबिक, विशेष सुरक्षा बल के सदस्यों को यह विश्वास हो कि कोई संदिग्ध या अभियुक्त तलाशी वारंट जारी कराने की अवधि के अंतराल में ही भाग सकता है, अपराध के साक्ष्य मिटा सकता है, तो उस अभियुक्त को यह बल तुरंत गिरफ्तार कर सकता है. संदिग्ध के घर, संपत्ति की तत्काल तलाशी ली जा सकती है. सर्च वारंट या मैजिस्ट्रेट की अनुमति जरूरी नहीं होगी. बस, एसएसएफ के पास सबूत होने चाहिए. अधिनियम के मुताबिक, ऐसी किसी भी कार्रवाई में सुरक्षा बल के अधिकारी या सदस्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कराया जा सकेगा. सरकार की इजाजत के बिना कोई भी कोर्ट विशेष सुरक्षा बल के किसी सदस्य के विरुद्ध किसी अपराध का संज्ञान नहीं लेगी.
उत्तर प्रदेश पुलिस की जांच एजेंसियां
आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू)
उत्तर प्रदेश के आर्थिक घोटालों, भ्रष्टाचार की जांच के लिए यह एजेंसी गठित की गई थी. यह एक्सक्लूसिवली आर्थिक भ्रष्टाचार की ही जांच करती है.
सतर्कता अधिष्ठान (यूपी विजिलेंस)
यह एजेंसी आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, मंत्री, विधायक यानी सभी प्रकार के लोक सेवकों के भ्रष्टाचार, भेदभाव पूर्ण कार्रवाई की जांच करती है. मगर इसकी जांच पर कोई कार्रवाई मुख्यमंत्री अथवा गृहमंत्री की अनुमति से ही हो सकती है.