लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की लोअर और अपर हाउस से लगातार दूरी बढ़ती ही जा रही है. उनके लिए ये चिंता का सबब बन रही है. यही वजह है कि बसपा सुप्रीमो ने हाउस से बढ़ती हुई दूरी को कम करने के लिए 1995 के गेस्ट हाउस कांड का राग अलापा है. मायावती को गेस्ट हाउस कांड याद दिलाने से आगामी निकाय चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 में फायदा नजर आ रहा है. वैसे माना ये जा रहा है कि इस राग के जरिए बसपा सुप्रीमो समाजवादी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती हैं.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ये स्टंट ही मायावती ने सपा को नुकसान पहुंचाने के लिए खेला है. हालांकि मायावती को इस स्टंट का लाभ मिलेगा या नहीं, ये कहना अभी मुश्किल है, लेकिन सपा को नुकसान जरूर हो सकता है. दरअसल, बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने रविवार को जब निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ ही प्रदेश के सभी 75 जिलों के जिलाध्यक्षों को संबोधित किया तो उन्होंने यह भी याद दिलाया कि गेस्ट हाउस कांड अगर न हुआ होता तो देश भर में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी राज कर रही होती. लेकिन, समाजवादी पार्टी सभी दलितों और अति पिछड़ों की हितैषी नहीं रही है, इसीलिए इस घटना को अंजाम दिया गया था.
मायावती ने यह भी कहा था कि अब दलित वोट बैंक को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए समाजवादी पार्टी कांशीराम की प्रतिमा लगाकर नाटक कर रही है. समाजवादी पार्टी ने डॉ. भीमराव अंबेडकर का सम्मान नहीं किया तो यह कांशीराम की प्रतिमा लगाकर दलितों का भला क्या करेंगे? मायावती के 28 साल बाद गेस्ट हाउस कांड चर्चा में लाने को लेकर अब सियासी गलियारों में भी चर्चाएं तेज हो गई हैं.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि गेस्ट हाउस कांड की याद मायावती को इसीलिए आई है क्योंकि अब उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में मायावती की स्थिति बेहतर होने के बजाय बदतर होती जा रही है. 2022 का विधानसभा चुनाव हुआ उसमें 403 सीटों में से सिर्फ एक सीट ही बहुजन समाज पार्टी जीतने में सफल हो पाई. मायावती को अंदाजा लग गया है कि अब उबर पाना मुश्किल है. समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी को कमजोर कर रही है. लिहाजा, दलितों को लुभाने के लिए मायावती ने याद दिलाया है कि गेस्ट हाउस कांड सपा के नेताओं की ही देन थी, ऐसे में सपा से दूरी बनाए रखें.
24 साल बाद एक मंच पर आए थे माया मुलायमःमायावती के साथ गेस्ट हाउस कांड साल 1995 में हुआ था. तकरीबन 23 साल तक इन दोनों पार्टियों में दरार पड़ी रही, लेकिन माया और मुलायम के बीच कड़वाहट 24 साल बाद साल 2019 में उस समय कम हुई जब मुजफ्फरनगर में पहली बार एक मंच पर नजर आए. लोकसभा चुनाव 2019 में बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था और इसका फायदा बहुजन समाज पार्टी को खूब मिला.