लखनऊ : वर्ष 1947 में राजकीय रोडवेज की स्थापना हुई थी. 1974 में राजकीय रोडवेज से इतर परिवहन निगम बना. पिछले 75 साल के इतिहास में हर साल सर्दी का मौसम आया, हर साल कोहरा भी पड़ा, लेकिन कभी भी ऐसा न हुआ कि कोहरे के चलते रोडवेज बसों का संचालन ही ठप हो गया हो. 75 साल बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि परिवहन निगम ने रात में कोहरे के कारण बसों का संचालन न करने का फैसला लिया हो. हालांकि परिवहन निगम का तर्क है कि यात्रियों की सुरक्षा को लेकर ये फैसला लिया गया है, लेकिन सवाल ये है कि क्या पिछले 75 साल से रात में बसों का संचालन कर यात्रियों की जान से की जान से खिलवाड़ किया जा रहा था. प्रशासन के इस फैसले को अधिकारी, कर्मचारी और जनता ही सही नहीं ठहरा रही है. रोडवेज के संगठन तो यहां तक कह रहे हैं कि प्राइवेट बस ऑपरेटर्स (private bus operators) को फायदा पहुंचाने के लिए परिवहन निगम प्रशासन ने यह फैसला लिया है और निगम का यह कदम प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा देने वाला है.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation Administration) के फैसले से डग्गामार संचालकों की चांदी हो गई है. कोहरे के चलते रात्रिकालीन बस सेवा का संचालन न करने के रोडवेज के निर्णय से रात में डग्गामार बसों से यात्रियों को सफर करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. इससे उनकी जेब कट रही है. डग्गामार बस संचालक (Daggamar Bus Operators) रोडवेज बस की तुलना में यात्रियों से चार गुना किराया वसूल रहे हैं. मंगलवार को उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने यह फैसला लिया कि कोहरे के कारण रात में परिवहन निगम की बसों का संचालन नहीं किया जाएगा. यात्री रात में बस स्टेशनों पर बस पकड़ने पहुंचे, लेकिन उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि परिवहन मंत्री के आदेश के बाद रात में बस सेवाओं का संचालन नहीं होगा. इससे यात्री डग्गामार बसों से सफर करने के लिए मजबूर हुए. तमाम बस स्टेशन पर यात्रियों ने परिवहन मंत्री के इस फैसले को लेकर विरोध जताया और अधिकारियों से बहस भी की. यात्रियों की दिक्कतों का भरपूर फायदा डग्गामार बस संचालकों ने उठाया. तीन से चार गुना किराया वसूल किया. यात्रियों की जेब कटी और प्राइवेट संचालकों की जेब भरी.
अधिकारियों को पता ही नहीं कोहरे के मानक | बस स्टेशनों से लौट रहे यात्री | |
परिवहन निगम की तरफ से रात में बसों का संचालन न करने का फैसला ले लिया गया. वजह बताई गई कि कोहरा ज्यादा पड़ता है ऐसे में बसें दुर्घटनाग्रस्त हो रही हैं और यात्रियों की जान जा रही है. निगम के लिए यात्रियों की जान की अहमियत है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर कितना कोहरा पड़े जब बसों का संचालन होने में दिक्कत आए. विजिबिलिटी का क्या मानक है जिसे ध्यान में रखकर कोहरे के चलते बसों के संचालन पर रोक लगाई गई? इस बारे में अधिकारियों को कुछ पता ही नहीं है. सवाल ये भी बड़ा है कि कोहरा तो दिन में भी पड़ता है और कभी कभी विजिबिलिटी रात से भी कम हो जाती है तो क्या दिन में भी ज्यादा कोहरा पड़ने पर बसों को रोक दिया जाएगा? मौसम विभाग ने तो अगले दो माह के लिए भयंकर कोहरे का अलर्ट जारी किया है तो क्या परिवहन निगम अगले दो माह तक बसों का संचालन नहीं करेगा? | बीती रात बनारस जाने वाले यात्री आलमबाग बस टर्मिनल बस पकड़ने पहुंचे थे. यात्रियों को कोहरा होने के चलते बसें उपलब्ध नहीं कराई गईं. ऐसे में बस स्टेशन पहुंचने वाले यात्रियों को कोहरा होने का हवाला देकर लौटा दिया गया. बरेली में यात्री दिल्ली से फ्लाइट का हवाला देकर बस पकड़ने पहुंचे लेकिन यह कहकर लौटा दिया गया कि रात हो गई है बस के संचालन का आदेश नहीं है. इससे यात्रियों की परेशानी बढ़ गई. उन्होंने खूब हंगामा किया. गाजियाबाद और अयोध्या में भी रात्रिकालीन बस सेवाओं के संचालन न होने पर यात्रियों ने खूब हंगामा किया. | |
| ||
15 जनवरी तक प्रभावित रहेंगी सेवाएं :लखनऊ के आलमबाग और कैसरबाग से चलने वाली रात्रिकालीन बसों की 100 से ज्यादा एसी व साधारण श्रेणी की सेवाएं 15 जनवरी तक प्रभावित रहेंगी. इससे रोजाना सफर करने वाले तीन से पांच हजार यात्रियों को दिक्कत हो गई है. आलमबाग और कैसरबाग बस स्टेशन पर आने वाले यात्रियों को रैन बसेरे में रोकने की सुविधा बनाई गई है. परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज पुंडीर ने बताया कि रात्रिकालीन बस सेवाएं तभी चलेंगी जब कोहरा नहीं होगा. बस स्टेशन आने वाले यात्रियों को रैन बसेरे में रोकने की व्यवस्था की गई है. जो बसें रात में निरस्त रहेंगी, उन बसों को सुबह आठ बजे के बाद संचालित किया जाएगा. |