लखनऊ: लोकसभाचुनाव केदूसरे चरण में पश्चिम उत्तर प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में बीजेपी की कठिन परीक्षा होने वाली है, पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सभी आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी. उस समय बीजेपी विपक्ष में थी. सत्तापक्ष पर हमला की रणनीति उसे जनता के करीब ले गयी.लेकिन इस बार माहौल कुछ और है. दूसरे चरण में मथुरा से बीजेपी की प्रत्याशी ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी, फतेहपुर सीकरी से कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर तो जाटलैंड के सबसे बड़े सियासी परिवार सेचौधरी अजित सिंह और युवराज जयंत चौधरी की साख दांव पर लगी है.
वहीं दूसरे चरण के चुनाव वाला क्षेत्र रोजगार और कृषि पर मिश्रित रूप से आधारित है. इस चुनाव अलीगढ़ का ताला उद्योग, पर्यटन और जूता उद्योग चुनावी मुद्दा बनेगा. तो गन्ना किसानों का गन्ना मूल्य भुगतान भी बड़ा मुद्दा रहेगा. कानून व्यवस्था से लेकर धर्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा चुनावी सभाओं में खूब उठने वाला है.
उद्योग और कृषि से जुड़े मुद्दों के अलावा ध्रुवीकरण कराने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी. राजनीतिक दलों की मंशा साफ दिख रही है. विपक्ष अगर सत्ता पक्ष पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाकर हमला कर रहा है, तो सत्ताधारी दल भाजपा विपक्ष पर यह आरोप लगा रही है कि उनके राज में कांवरिया पूरी स्वतंत्रता के साथ यात्रा तक नहीं निकाल पा रहे थे. उन्हें उल्लास के साथ अपने पर्व त्यौहार मनाने की स्वतंत्रता तक नहीं थी. मथुरा की होली हो या अयोध्या की दिवाली सब इन चुनावों में देखने को मिलेगा.
क्या बीजेपी इन आठ सीटों पर पिछला परिणाम दोहरा पाएगी. वहीं कांग्रेसप्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने पिछले चुनाव में ढेर सारे वादे किए थे. जनता उनके जुमलों में फंस गई थी. जनता को लगा था कि अगर बीजेपी की सत्ता में आती है तो वह देश का विकास करेगी. देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बीजेपी की सारी घोषणाएं जुमला बनकर रह गई.
वहीं बीजेपीप्रदेश प्रवक्ता डॉ मनोज मिश्र का कहना है कि इन सभी आठ सीटों पर बीजेपी जीतेगी उसके पीछे कारण है हम पांच साल पहले सत्ता में आए थे. सत्ता में रहने के बावजूद हमारा संगठन जनता के साथ जुड़ा रहा उनकी समस्याओं को अपनी समस्या बनाकर सरकार तक पहुंचाता रहे. दूसरी तरफ सरकार की तरफ से तमाम कल्याणकारी योजनाएं चलाई गई और जनता को लाभ पहुंचाया गया. केंद्र की मोदी सरकार ने उज्ज्वला योजना दी. उसमें जाति धर्म और मजहब नहीं देखा गया. हमनें प्रधानमंत्री आवास दिये. स्वच्छता अभियान के तहत गरीबों को शौचालय दिया.
वहीं वरिष्ठ पत्रकार अशोक राजपूत का कहना है कि पहली की तरह बीजेपी इस बार भी चुनाव पर शत प्रतिशत जीत दर्ज करेगी यह संभव नहीं है. पहले की तरह 2014 और 2019 में काफी अंतर है. लेकिन हां पश्चिम उत्तर प्रदेश में धार्मिक मुद्दे थे. कुछ परेशानियां थी. लेकिन आश्चर्य कि बात है कि यह पांच साल के लिए चुनाव हो रहा है लेकिन विकास के मुद्दे गायब दिख रहे हैं. जातीय आधार पर तो तमाम सारी चीजें चल रही है. एक सप्ताह में ही वोटिंग होने वाला है. राजनीतिक दलों ने अपने घोषणा पत्र अभी तक नहीं जारी किए हैं. इससे भी राजनीतिक दलों की विकास के प्रति सजगता दिखती है. आखिर वे जनता के बीच किस एजेंडे को लेकर जाएंगे.