लखनऊ :बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में महिलाओं पर आयोजित वेबिनार की मुख्य अतिथि प्रोफेसर शीला मिश्रा, चेयर पर्सन, आईसीसी, एलयू थीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि महिलाओं को कमतर समझना मानसिक विकृति है और इस विचारधारा से लड़ने के लिए हमें खुद को मानसिक रूप से मजबूत करना होगा. यह मानसिक विकृति सिर्फ कम पढ़े या कम जागरूक लोगों में ही नहीं है, बल्कि ऊंचे पायदान पर पहुंच चुके लोगों में भी देखने को मिलती है. हमें इस समस्या की जड़ को समझना होगा, तभी हम लैंगिक असमानता और हिंसा को कम कर सकते हैं.
वेबिनार की विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर तूहीना वर्मा, चेयर पर्सन, डब्ल्यू. जी. डब्ल्यू. सी., डॉ राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी, अयोध्या, ने लैंगिक भेदभाव को लैंगिक हिंसा का मुख्य कारण बताते हुए कहा कि भारत एक ऐसा देश रहा है, जहां महिलाओं को देवी के समान पूजा गया. मगर मध्यकाल के बाद से भारत में महिलाओं की स्थिति में गिरावट आई है. उन्होंने लैंगिक हिंसा को देश के विकास में बाधक बताया और इसके समाधान के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की. उन्होंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, वन स्टॉप सेंटर, वीमेन हेल्पलाइन स्कीम और महिलाएं हठ जैसी योजनाओं के बारे में जानकारी दी.
प्रो0 डी0 पी0 सिंह, डायरेक्टर आई0 क्यू0 ए0 सी, बीबीएयू ने अध्यक्षीय उद्बोधन प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का भाव होता है. उनकी यह विशेषताएं प्रकृति प्रदत्त है. मगर फिर भी महिलाओं को समाज में कई तरह की हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है. हमें सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि महिलाओं के प्रति हो रही मानसिक हिंसा पर भी ध्यान देना होगा. इसके निवारण के उपाय तलाशने होंगे, क्योंकि मानसिक हिंसा महिलाओं के आत्मविश्वास को हानि पहुंचाती है और उन्हें मानसिक रूप से भी कमजोर करती है.